बेहतर स्वास्थ्य सुविधाओं तक लोगों की पहुंच बढ़ने से दुनिया में दिल की बीमारी से मरने वालों की संख्या में कमी आई है। यह खुलासा हाल ही में हुए एक अध्ययन में किया गया है। शोधकर्ताओं ने ब्रिटेन समेत 20 देशों के आकड़ों का अध्ययन कर यह निष्कर्ष निकाला है। इनके मुताबिक 1989-91 से 2013-15 के बीच की अवधि में हृदय संबंधी बीमारियों में 63 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है। यह अध्ययन बोर्नमाउथ यूनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने किया है और यह हाल ही में ऑनलाइन जर्नल ऑफ कार्डियोवास्कुलर रिसर्च में प्रकाशित हो चुका है।
भारत में युवा हृदय रोगी बढ़े : हालांकि भारत के संदर्भ में यह आंकड़े कुछ और ही कहानी बयां करते हैं। भारत में 1.30 अरब की आबादी में से 4.5 करोड़ लोग दिल की बीमारी से पीडि़त हैं। इस लिहाज से भारत में हृदय रोगियों की संख्या दुनिया में सर्वाधिक है। पंचकुला स्थित पारस सुपरस्पेशियालिटी हॉस्पिटल के चेयरमैन एचके बाली का कहना है कि यही रफ्तार रही तो भारत बहुत जल्द हृदय संबंधी रोगों की वैश्विक राजधानी हो जाएगा। भारत में पिछले 26 साल में दिल की बीमारी से मरने वालों की संख्या में 34 फीसदी बढ़त दर्ज हुई है। हालांकि इसी अवधि में अमेरिका में दिल की बीमारी से मरने वालों की संख्या में 41 फीसदी की गिरावट दर्ज की गई है।
कारण : इसके लिए धूम्रपान के खतरों के प्रति लोगों में जागरूकता बढ़ना और बेहतर स्वास्थ्य सेवाओं तक अधिक पहुंच को जिम्मेदार माना गया है। बाली का कहना है कि भारत में खराब जीवनशैली के कारण 25 से 35 साल की उम्र के लोग भी दिल की बीमारियों के शिकार हो रहे हैं।