बिहार के सासाराम के नासरीगंज में सोन नहर पर बना लोहे का ऐतिहासिक पुल गायब हो गया। विडंबना है कि साठ फीट लंबे, दस फीट चौड़े व बारह फीट ऊंचे पुल को दिन दहाड़े उखाड़ कर इसके मलबे को वाहनों से ढो दिया गया। लेकिन, विभाग को इसकी भनक तक नहीं लगी।
यह पुल सोन नहर अवर प्रमंडल नासरीगंज के अमियावर गांव स्थित आरा मुख्य नहर पर स्थित कंक्रीट के पुल के समानांतर लगभग पचीस फीट की दूरी पर था। जिसे जेसीबी मशीन की मदद से उखाड़ कर मलबे को वाहनों में लाद कर अन्यत्र ले जाया गया। ग्रामीणों के अनुसार पुल से निकले लोहे को कई बार पिकअप पर लाद कर ले गये। लोगों का अनुमान है कि लगभग बीस टन लोहा पुल से प्राप्त हुआ है। ग्रामीणों के अनुसार पुल को उखाड़ने वाले ने खुद को सिंचाई विभाग का कर्मी बताया था।
सूत्रों के अनुसार सैंकड़ों सालों से लोग गांव के उस पार आने-जाने के लिए नाव से नहर पार करते थे। इसी क्रम में वर्ष 1966 में यात्री से भरी नाव नहर के गहरे पानी में डूब गई। इस हादसे में दर्जन भर लोगों की जान चली गई थी। जिसके बाद 1972 से 1975 के बीच नहर पर उक्त लोहे के पुल का निर्माण तत्कालीन सरकार ने कराया था। पुल के आंशिक रूप से क्षतिग्रस्त होने पर इसके समानांतर कंक्रीट पुल का निर्माण हुआ। जिसके बाद गांव के बच्चे लोहे के पुल के ऊपर से नहर में छलांग लगाने का खेल खेलते थे और फोटो खिंचवाते थे। अब बच्चे भी परेशान हैं कि उनके खेल का एक साधन गायब कर दिया गया।
पूर्व प्रखंड प्रमुख पवन कुमार ने विभागीय मुख्य अभियंता को सूचना देकर आरोप लगाया है कि पुल को गायब करने में स्थानीय विभागीय अधिकारियों और मौसमी कर्मचारियों की मिलीभगत है। इस मामले में पूछे जाने पर विभागीय सहायक अभियंता राधेश्याम सिंह ने बताया कि वे छुट्टी पर हैं। घटना की जानकारी प्राप्त होने पर उन्होंन जेई को तत्काल थाने में एफआईआर करने का निर्देश दिया है।
सहायक अभियंता ने यह भी बताया कि उक्त पुल का अब इस्तेमाल नहीं होता था। क्षतिग्रस्त हो चुके पुल में अक्सर मवेशी फंस जाते थे। जिसे लेकर स्थानीय मुखिया ने आवेदन देकर इसे हटाने का अनुरोध किया है। लेकिन, किसी कानूनी प्रक्रिया के बिना यह पुल कैसे गायब हो गया, यह जांच का विषय है।