बॉम्बे हाई कोर्ट के दो न्यायाधीशों ने बुधवार को महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख की ओर से दायर एक याचिका पर सुनवाई से खुद को अलग कर लिया। याचिका में निचली अदालत के उस आदेश को चुनौती दी गई थी जिसमें सीबीआई को भ्रष्टाचार के एक मामले में उन्हें (देशमुख को) हिरासत में लेने की अनुमति दी गई थी। देशमुख की याचिका को न्यायमूर्ति रेवती मोहिते डेरे के समक्ष सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया था। लेकिन जब मामला सुनवाई के लिये आया तो न्यायमूर्ति डेरे ने कहा, ‘मेरे सामने नहीं’, और संकेत दिया कि वह इस पर सुनवाई नहीं कर रही हैं।
राकांपा नेता के वकील अनिकेत निकम ने तब जस्टिस पीडी नाइक से संपर्क कर याचिका पर तत्काल सुनवाई की मांग की। जस्टिस नाइक ने भी खुद को यह कहते हुए सुनवाई से अलग कर लिया कि, मेरे सामने सूचीबद्ध नहीं किया जाए।’ दोनों न्यायाधीशों ने सुनवाई से अलग होने का कोई कारण नहीं बताया। हाई कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अब मामले को किसी अन्य न्यायाधीश को सौंपेंगे।
मुंबई की एक अदालत ने 31 मार्च को सीबीआई की वह अर्जी स्वीकार कर ली थी जिसमें महाराष्ट्र के पूर्व गृह मंत्री अनिल देशमुख को उनके और अन्य के खिलाफ दर्ज भ्रष्टाचार के मामले की जांच के लिए उसकी हिरासत में देने का अनुरोध किया गया है। देशमुख ने इस आदेश को चुनौती दी थी।
विशेष सीबीआई अदालत ने देशमुख के सहयोगियों संजीव पलांडे और कुंदन शिंदे तथा बर्खास्त पुलिस अधिकारी सचिन वाजे को भी सीबीआई हिरासत में लेने की इजाजत दी थी। प्रवर्तन निदेशालय द्वारा धनशोधन मामले में गिरफ्तारी के बाद से देशमुख, पलांडे और शिंदे न्यायिक हिरासत में हैं।