बिहार के मंदार की धरती के नाम से चर्चित बांका विधानसभा क्षेत्र शुरू से ही वीआईपी के लिए चर्चित रहा है। इस सीट से जहां बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चन्द्रशेखर सिंह विधायक रह चुके हैं, वहीं वर्तमान विधायक राम नारायण मंडल बिहार के राजस्व एवं भूमि सुधार मंत्री हैं। इस सीट पर कांग्रेस के बाद भाजपा का दबदबा रहा है।
अब तक के चुनाव में छह बार कांग्रेस ने जीत दर्ज की है, वहीं पांच बार भाजपा ने इस सीट पर अपना झंडा लहराया है। भाजपा के वर्तमान विधायक राम नारायण मंडल ही यहां से पांच बार विधायक रह चुके हैं। इसके पूर्व बांका विधानसभा से एक बार जनसंघ के नेता बीएल मंडल 1967 में विधायक चुने गए थे।
बांका विधानसभा क्षेत्र का इतिहास काफी रोचक रहा है। 1952 में बांका के पहले विधायक कांग्रेस के राघवेन्द्र नारायण सिंह चुने गए। 1957 में इंडियन नेशनल कांग्रेस ने विंधवासिनी देवी को उम्मीदवार बनाया और वह विधायक चुनी गईं। इसके बाद दो चुनाव में कांग्रेस यहां से हार गई। वर्ष 1969 में बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री स्व. चन्द्रशेखर सिंह को कांग्रेस ने उम्मीदवार बनाया तथा उन्होंने जीत हासिल की। वे बांका विधानसभा का चार बार नेतृत्व किए। वर्ष 1990 में बांका विधानसभा सीट भाजपा ने कांग्रेस से छीन ली। भाजपा के राम नारायण मंडल ने चुनाव जीता। 1995 में जनता पार्टी के जावेद इकबाल अंसारी ने जीत दर्ज की, लेकिन 2000 में बांका सीट फिर भाजपा के खाते में चली गयी। इसके बाद राम नारायण मंडल भाजपा से लगातार दो बार विधायक रहे। 2010 में फिर राजद से जावेद इकबाल अंसारी चुने गए। 2015 में फिर भाजपा ने यह सीट राजद से छीन ली तथा राम नारायण मंडल विधायक बने।
इस विधानसभा की तस्वीर दिनोंदिन बदलती रही। आज भी कई महत्वपूर्ण काम अधूरे पड़े हैं। यहां चांदन पुल ध्वस्त हो चुका है। 1995 की बाढ़ के बाद चांदन पुल का निर्माण हुआ था। आज फिर एक पुल की आवश्यकता है। हालांकि पुल की स्वीकृति केन्द्र सरकार से मिल गई है तथा बरसात के बाद निर्माण शुरू होने की उम्मीद है। बांका में इंजीनियरिंग कॉलेज, पॉलिटेक्निक, आईटीआई, महिला आईटीआई कॉलेज खुले हैं। साथ ही दर्जनों सड़क व दोमुहान में तीन बड़े पुलों का निर्माण करवाकर सौ से अधिक गांव को यातायात सुलभ कराया गया है। रसोई गैस बॉटलिंग प्लांट व खड़हरा के पास पावर ग्रिड का भी इसकी तरक्की के द्वार खोलेंगे।