रूस भारत को तेल की प्रत्यक्ष बिक्री पर भारी छूट की पेशकश कर रहा है। यूक्रेन पर अटैक के बाद पश्चिमी देशों द्वारा लगाए गए प्रतिबंधों के चलते रूस आर्थिक रूस से दिक्कतों का सामना कर रहा है। मामले की जानकारी रखने वाले लोगों के अनुसार, यूक्रेन पर आक्रमण के बाद बढ़ते अंतरराष्ट्रीय दबाव के कारण कई अन्य देश रूसी तेल के प्रति कम रुचि दिखा रहे हैं।
भारत को कितनी छूट दे रहा है रूस
मामले के जानकारों ने नाम न छापने की शर्त पर बताया कि प्रतिबंधों से प्रभावित रूस भारत को अधिक तेल खरीदने के वास्ते लुभाने के लिए युद्ध से पहले की कीमतों पर 35 डॉलर प्रति बैरल की छूट दे रहा है। खास बात ये भी है कि रूस भारत को अपने फ्लैगशिप यूराल ग्रेड तेल की पेशकश कर रहा है। सूत्रों ने कहा कि रूस चाहता है कि भारत इस साल के लिए अनुबंधित 15 मिलियन बैरल ले ले, और इसके लिए बातचीत सरकारी स्तर पर हो रही है।
एशिया का नंबर 2 तेल आयातक भारत उन मुट्ठी भर देशों में से है जो अंतरराष्ट्रीय दबाव और प्रतिबंधों को धता बताते हुए रूसी कच्चे तेल को दोगुना कर रहे हैं। रूस का तेल अधिक मात्रा में एशिया में आ रहा है क्योंकि पूरे यूरोप और अमेरिका में खरीदारों ने यूक्रेन पर आक्रमण के बाद सप्लाई को बंद कर दिया है। भारत और चीन रूस के प्रमुख खरीदार रहे हैं।
उन्होंने कहा कि रूस ने रूस के मैसेजिंग सिस्टम एसपीएफएस का इस्तेमाल करके रुपये-रूबल-मूल्य वाले भुगतान की भी पेशकश की है, जो भारत के लिए व्यापार को और अधिक आकर्षक बना सकता है। फिलहाल कोई अंतिम निर्णय नहीं लिया गया है और इस मामले पर रूसी विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव के साथ चर्चा की गई है। वे गुरुवार को दो दिवसीय यात्रा के लिए भारत पहुंचे। प्रत्यक्ष खरीद में रूस के रोसनेफ्ट पीजेएससी और भारत के सबसे बड़े प्रोसेसर इंडियन ऑयल कॉर्प के शामिल होने की उम्मीद है।
विदेश मंत्री एस़ जयशंकर ने अपने रूसी समकक्ष सर्गेई लावरोव के साथ शुक्रवार को यहां मुलाकात की और कहा कि भारत ने अपने ‘एजेंडे’ का विस्तार करते हुए सहयोग में विविधता लाने की कोशिश की है। भारत और रूस के बीच यह उच्च-स्तरीय बैठक उन संकेतों की पृष्ठभूमि में हुई जिसमें व्यापक छूट पर रूस से बड़ी मात्रा में तेल खरीदने की भारत की संभवनाओं तथा द्विपक्षीय व्यापार के लिए रुपये-रूबल की विनिमय व्यवस्था की बात सामने आई।
अमेरिकी ने दी थी चेतावनी
मेरिका ने बृहस्पतिवार को आगाह किया कि रूस के खिलाफ अमेरिकी प्रतिबंधों में गतिरोध पैदा करने वाले देशों को अंजाम भुगतने पड़ेंगे। साथ ही, यह भी कहा कि वह रूस से ऊर्जा एवं अन्य वस्तुओं का भारत के आयात में ‘तीव्र’ वृद्धि देखना नहीं चाहेगा। अमेरिका के उप राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (डिप्टी एनएसए) दलीप सिंह ने मास्को एवं बीजिंग के बीच ‘‘असीमित’’ साझेदारी का भी जिक्र किया और कहा कि भारत को यह अपेक्षा नहीं करनी चाहिए कि यदि चीन वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) का उल्लंघन करता है तो रूस, भारत की रक्षा करने के लिए दौड़ा चला आएगा।