पहले मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी। फिर विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खंडूड़ी। मंगलवार को भाजपा की दो महिला विधायक, पूर्व मुख्यमंत्री और कांग्रेस के वरिष्ठ नेता हरीश रावत से मिलीं। भाजपाइयों में हरीश रावत से मिलने की इस होड़ से सियासी हलकों में यह सवाल उठ रहा है कि राजनीतिक और वैचारिक रूप से ये कट्टर विरोधी आए दिन पूर्व सीएम के घर आखिर किसलिए दस्तक दे रहे हैं?
जबकि उनकी अपनी पार्टी के नेता न केवल उनसे दूरी बनाए हुए हैं, बल्कि उन पर टिकट बेचने जैसे संगीन आरोप भी लगा रहे हैं।
सियासी जानकार इस बात से हैरान हैं कि अचानक भाजपा नेताओं में हरीश रावत के प्रति इतना प्रेम कैसे उमड़ रहा है। वो सहज भाव से आशीर्वाद लेने आ रहे हैं या इसके पीछे कोई सियासी राज है।
मंगलवार को केदारनाथ से भाजपा विधायक शैला रानी रावत और नैनीताल की विधायक सरिता आर्य ने रावत से उनके ओल्ड मसूरी रोड स्थित आवास पर मुलाकात की। वर्ष 2016 में कांग्रेस में हुए विभाजन में शैला रावत भी कांग्रेस छोड़कर भाजपा में चली गई थीं। जबकि सरिता ने अपना टिकट कटता देख, विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से नाता तोड़कर भाजपा से रिश्ता जोड़ लिया था।
सरिता उस वक्त महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष थीं। हालांकि रावत और सभी भाजपा नेता इन मुलाकातों को शिष्टाचार भेंट बता रहे हैं। लेकिन अब तक राज्य में ऐसी कोई परंपरा भी नहीं रही कि प्रतिद्वंद्वी के घर तांता ही लगा रहे। हरीश रावत ने अपने फेसबुक पेज पर भी इन मुलाकातों को शिष्टाचार भेंट बताया है।
कांग्रेसी बनाए हैं दूरी : जहां भाजपा नेता लगातार रावत से मिलने पहुच रहे हैं वहीं, हरीश रावत की अपनी पार्टी-कांग्रेस के ज्यादातर नेता उनसे दूरी बनाए हैं। देहरादून में चुनाव हारे सभी नेताओं के घर बारी बारी जा चुके प्रीतम, अभी तक रावत से नहीं मिले हैं। रावत कैंप से जुड़े नेता तो गाहे-बगाहे उनसे मिलने आ भी रहे हैं पर प्रीतम कैंप सोशल मीडिया पर रावत के खिलाफ मोर्चा खोले हुए है।