लगातार चार दिन बैंक बंद रहने से गाजियाबाद के उद्यमियों के करीब 2000 करोड़ रुपए के चेक बैंकों में क्लीयरेंस में फंस गए हैं। इससे उद्यमियों और कारोबारियों की परेशानी बढ़ गई है। एनसीआर के प्रमुख औद्योगिक नगरी में शामिल गाजियाबाद के सैकड़ों उद्यमी रोजाना बैंकों से करोड़ों का ट्रांजैक्शन करते हैं। वही जिले में कई कारोबार के थोक बाजार हैं। आयात, निर्यात, खरीद के लिए उद्यमियों एवं कारोबारियों को बैंकों से आरटीजीएस करना पड़ता है। बैंकों में लगातार दो दिन शनिवार रविवार अवकाश होने तथा 28 ऑल 29 मार्च को हड़ताल की वजह से चेक का क्लीयरेंस व आरटीजीएस का कार्य फस गया है।
गाजियाबाद इंडस्ट्रीज फेडरेशन के अध्यक्ष अरुण शर्मा ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2022 का मार्च आखिरी महीना है। महीने में अब 2 दिन शेष रह गए हैं। ऐसे में ऐसे में आखरी के 1 सप्ताह में लगातार 4 दिन बंद नहीं रखना चाहिए। उन्होंने कहा कि उद्यमियों के करीब दो हजार करोड़ के रुपये की विभिन्न बैंकों में चेक क्लीयरेंस के लिए जमा किए गए थे, जो क्लीयरेंस नहीं होने फस गए हैं। उन्होंने कहा कि आखिरी सप्ताह में उद्यमी और कारोबारी केंद्रीय एवं राज्य सरकार को सालाना जीएसटी रिटर्न, आयकर रिटर्न जमा करना पड़ता है। विद्युत निगम एवं नगर निगम को भी बिजली बिल एवं हाउस टैक्स के रूप में शुल्क जमा कराते हैं। इसके लिए बैंकों में चेक क्लीयरेंस की जाती है। शनिवार से लगातार बैंक बंद होने से उद्यमों उद्यमियों उद्यमियों की बेचैनी बढ़ गई है वही विभाग से विभागों से राजस्व जमा करने के लिए बार-बार तगादा किया जाता है।
शनिवार को बैंक खुलने चाहिए थे
अखिल भारतीय उद्योग व्यापार मंडल के अध्यक्ष संदीप बंसल ने बताया कि 28 और 29 मार्च की हड़ताल करीब 10 से 15 दिन पहले घोषित की गई थी। सरकार को मार्च महीने के आखिरी सप्ताह में लगातार चार दिन बंदी को देखते हुए बैंकों में चौथे शनिवार का अवकाश रद्द कर देना चाहिए था। शनिवार को पूरे दिन बैंक खुलने से कारोबारियों को ट्रांजैक्शन या आरटीजीएस में परेशानी नहीं होती। उधर, लोहा विक्रेता मंडल के अध्यक्ष अतुल जैन ने कहा कि लगातार चार दिन की बंदी से कारोबारियों को भुगतान और बाहर से माल मंगाने में काफी परेशानी हुई है।