बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर महागठबंधन में सीट बंटवारे को लेकर चल रही चर्चा में वाम दलों ने पेच फंसा दिया है। राजद ने जो खाका तैयार किया है, उसमें उनकी मनमाफिक सीटें समाहित नहीं हैं। उधर, रालोसपा ने भी अब तक महागठबंधन छोड़ने का ऐलान नहीं किया है। चर्चा है कि कांग्रेस के शीर्ष नेता रालोसपा को मनाने में लगे हैं।
राकांपा ने भी अपनी मांग रख दी है। बावजूद उम्मीद है कि थोड़ा इधर-उधर कर महागठबंधन एक दो दिन में सबको एडजस्ट कर लेगा और सीटों की संख्या का एलान इस महीने के अंत तक हो जाएगा।
राजद ने महागठबंधन का जो स्वरूप तय किया है, उसके अनुसार राजद खुद इस बार 150 से कम सीट पर लड़ने को तैयार नहीं है। लेकिन गठबंधन पर बढ़ रहे दबाव के सामने थोड़ा झुकना पड़ सकता है। अब तक वह मानकर चल रहा है कि रालोसपा बाहर हो गई। लेकिन कांग्रेस अगर मना लेती है तो कांग्रेस को अपने हिस्से से ही सीट देनी होगी। ऐसी स्थिति में राजद को कांग्रेस के लिए तय 65 से 70 सीटों के फॉर्मूले में बदलाव करना पड़ सकता है। राजद ने राकांपा को भी कांग्रेस के हवाले ही छोड़ दिया है।
उधर, वाम दलों ने नया पेच फंसा दिया है। माले को 12 सीट देने पर राजद तैयार है लेकिन उसका कहना है कि पहले माले उम्मीदवारों की सूची दे। अगर उम्मीदवार जीताऊ लगे तो वह सीट दे देगा। लेकिन माले ने 20 से कम पर बात करने से ही मना कर दिया है। सीपीएम के लिए राजद ने दो सीट छोड़ी है। उसकी मांग पांच की है। लेकिन उसका कहना है कि पांच में जो सीट मिलेगी, वहां समझौता होगा और शेष सीटों पर दोस्ताना टक्कर होगा।
सीपीआई अभी अपना पत्ता नहीं खोल रही है। लेकिन राजद ने वाम दलों के लिए कुल बीस सीट ही रखी है। इसके भीतर तीनों दलों को एडजस्ट करना संभव हो पाता है या नहीं, देखना होगा। लेकिन संख्या तय होने के बाद भी मामला कुछ सीट को लेकर है। संख्या पर सहमति बनाना बहुत कठिन नहीं, जितना सीटें तय करना। माले की कुछ ऐसी सीटों की भी मांग है जहां राजद का सीटिंग उम्मीदवार हैं। राजद कुछ सीटें देना नहीं चाह रहा, जो उसका सीटिंग है।