राजस्थान में नए जिलों के गठन की कवायद तेज हो गई। सीएम गहलोत ने नए जिला बनाने के लिए पूर्व आईएएस रामलुभाया की अध्यक्षता में उच्च स्तरीय कमेटी गठित की है। कमेटी 6 महीने में राज्य सरकार को अपनी रिपोर्ट सौंपेगी। सीएम गहलोत ने बजट भाषण में नए जिलों की संभावनाओं का पता लगाने के लिए कमेटी बनानी की घोषणा की थी। कांग्रेस के राज्य स्तरीय अधिवेशन में कांग्रेस विधायकों एवं जनप्रतिनिधियों ने सीएम गहलोत से नए जिला बनाने की मांग की थी। यह कमेटी छह माह में अपनी रिपोर्ट तैयार करके मुख्यमंत्री को सौंपेंगी। राजस्थान में 50 जगहों से नए जिला बनाने की मांग उठी है। उल्लेखनीय है कि प्रदेश में 13 साल से कोई नया जिला नहीं बना है। 26 जनवरी 2008 प्रतापगढ़ आखिरी जिला बना था।
कमेटी जनप्रतिनिधियों से लेगी सुझाव
कमेटी में प्रमुख शासन सचिव राजस्व समिति के सदस्य सचिव होंगे। प्रमुख शासन सचिव ग्रामीण विकास एवं पंचायतीराज, प्रमुख शासन सचिव वित्त अथवा उनके प्रतिनिधि जो विशिष्ट शासन सचिव स्तर से नीचे न हों तथा अतिरिक्त मुख्य सचिव गृह की ओर से मनोनीत प्रतिनिधि जो विशिष्ट शासन सचिव स्तर से नीचे न हों, समिति में सदस्य के रूप में शामिल किए गए है। यह समिति विधायकों, जनप्रतिनिधियों सहित आमजन से समय-समय पर प्राप्त होने वाले ज्ञापनों और मांग पत्रों पर विचार कर गुणावगुण के आधार पर नए जिलों की आवश्यकता का आंकलन कर 6 माह में रिपोर्ट देगी।
अलग अलग क्षेत्रों से उठ रही है मांग
बता दें कि प्रदेश कई क्षेत्रों से लंबे समय से अलग-अलग जिलों की मांग उठती रही है। जिसमें ब्यावर , हिंडौन , कोटपूतली , बालोतरा , बहरोड़, निवाई , हिंडौन, गंगापुर सिटी सहित करीब एक दर्जन ऐसे क्षेत्र है जहां पर लगातार जिला बनाने की मांग और उसको लेकर आंदोलन होते रहे हैं। बाड़मेर के कांग्रेस विधायक मदन प्रजापत ने बालोतरा को जिला बनाने की मांग पूरी नहीं होने तक नंगे पैर रहने की कसम खाई थी।