बॉम्बे हाई कोर्ट ने प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) की ओर से गिरफ्तार किए जाने के खिलाफ दाखिल राकांपा नेता तथा महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका पर शुक्रवार को सुनवाई पूरी कर ली और वह 15 मार्च को अपना निर्णय सुनाएगा। महाराष्ट्र के अल्पसंख्यक कार्य मंत्री व राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) के मुख्य प्रवक्ता मलिक को ईडी ने भगोड़े गैंगस्टर दाऊद इब्राहिम और उसके सहयोगियों की गतिविधियों से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में 23 फरवरी को गिरफ्तार किया था।
मंत्री को पहले ईडी की हिरासत में भेजा गया और बाद में न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया था। जस्टिस पी.बी. वराले और न्यायमूर्ति एस.ए.म मोदक की पीठ ने दोनों पक्षों की तीन दिनों तक चली लंबी जिरह के बाद अपना आदेश सुरक्षित रख लिया और कहा कि मंगलवार (15 मार्च) को आदेश सुनाया जाएगा। मलिक के वकील, वरिष्ठ अधिवक्ता अमित देसाई ने पहले हाई कोर्ट को बताया था कि मंत्री की गिरफ्तारी और उसके बाद की हिरासत अवैध है। उन्होंने अपील की थी कि गिरफ्तारी रद्द की जाए और उन्हें तुरंत हिरासत से रिहा कर अंतरिम राहत प्रदान की जाए।
ईडी के वकील, अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल अनिल सिंह और अधिवक्ता हितेन वेनेगाओकर ने अदालत को सूचित किया था कि मलिक को उचित प्रक्रिया अपनाने के बाद गिरफ्तार किया गया और विशेष पीएमएलए अदालत द्वारा जारी रिमांड आदेश ने उन्हें ईडी की हिरासत और फिर न्यायिक हिरासत में भेजने के वैध कारण बताए गए हैं। उन्होंने तर्क दिया था कि मंत्री की बंदी प्रत्यक्षीकरण याचिका जायज नहीं है। उन्होंने कहा था कि इसके बजाय उन्हें मामले में नियमित जमानत की अपील करनी चाहिए।