दिल्ली वक्फ बोर्ड के अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान की जल्द छुट्टी हो सकती है। वक्फ बोर्ड के सात में से चार सदस्यों ने शुक्रवार को अध्यक्ष अमानतुल्लाह खान के खिलाफ उपराज्यपाल कार्यालय में अविश्वास प्रस्ताव का नोटिस सौंपा, जिसमें उनके खिलाफ भ्रष्टाचार, अवैध भर्ती और मनमानी के आरोप लगाए गए हैं।
चारों सदस्यों ने उपराज्यपाल अनिल बैजल से अविश्वास प्रस्ताव पर जल्द फैसला करने के लिए 18 दिनों के भीतर बोर्ड की बैठक बुलाने का आग्रह किया है। ओखला से आम आदमी पार्टी (आप) विधायक अमानतुल्लाह खान ने अपने ऊपर लगे आरोपों को ‘झूठा’ और बेबुनियाद करार दिया है। उन्होंने कहा कि मुझ पर बेईमान होने का आरोप लगाने वाले खुद भ्रष्ट हैं। मेरे पास उनके खिलाफ सबूत हैं।
कांग्रेस के पूर्व सांसद और दिल्ली वक्फ बोर्ड के सदस्य परवेज हाशमी ने कहा कि नोटिस पर चार सदस्यों ने हस्ताक्षर किए थे, जिनमें से दो को ‘आप’ सरकार ने ही नामित किया था।
हाशमी ने कहा कि खान की अध्यक्षता में वक्फ बोर्ड के कामकाज के संबंध में बहुत सारी शिकायतें थीं। भ्रष्टाचार और अनियमितताओं के अलावा, अन्य मुद्दे भी हैं जैसे कि वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र में आने वाली मस्जिदों के इमामों का वेतन और किराया वसूली। हाशमी के अलावा, अविश्वास प्रस्ताव के नोटिस पर चौधरी शरीफ अहमद, रजिया सुल्ताना और नईम फातिमा काजमी ने हस्ताक्षर किए। उनकी ओर से तुरंत कोई प्रतिक्रिया नहीं मिली।
वक्फ बोर्ड के तीसरी बार अध्यक्ष रहे खान विवादों से अलग नहीं हैं। उन्होंने भ्रष्टाचार के आरोपों को लेकर 2016 और 2018 में बोर्ड से इस्तीफा दे दिया था।
सूत्रों ने कहा कि खान इसके तहत संपत्तियों से किराए के संग्रह को सुव्यवस्थित करके बोर्ड के राजस्व को बढ़ाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि बोर्ड हालांकि, धन की कमी के कारण अपने संविदा कर्मचारियों और इमामों के वेतन और वेतन का भुगतान करने में असमर्थ था।
इमामों ने हाल ही में वक्फ बोर्ड कार्यालय में अपने भुगतान की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया जो 11 महीने से लंबित है। पिछले साल संविदा कर्मचारियों ने भी अपना बकाया चुकाने की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन किया था। सूत्रों ने बताया कि इन संविदा कर्मचारियों का वेतन करीब तीन से चार महीने से लंबित है।