महाराष्ट्र के सोलापुर में एक सरकारी अस्पताल में तपेदिक से जान गंवाने वाले 22 साल के एक व्यक्ति के रिश्तेदारों ने मंगलवार को दावा किया कि अस्पताल के वार्ड में उसके शव पर चीटियां रेंग रही थीं। अस्पताल के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि प्रथम दृष्टया, नर्सों के मुताबिक मरीज के बेड पर चीटियां रेंग रही थीं, जिसके बाद इस मामले की जांच का आदेश दिया गया है। राकेश मोरे को आठ फरवरी को इस अस्पताल में भर्ती कराया गया था। उसे तपेदिक था। रविवार की दोपहर उसकी मौत हो गई।
राकेश की चाची ने दावा किया, ‘अस्पताल प्रशासन ने रविवार को दोपहर करीब तीन बजे हमें बुलाया और राकेश की मौत की सूचना दी। जब हमारे रिश्तेदार अस्पताल के वार्ड में गये तब शव पर चीटियां नहीं थीं लेकिन जब साढ़े चार बजे हमारे परिवार के सदस्य शव लेने वार्ड में पहुंचे तब उन्होंने पाया कि शव के ऊपर जगह जगह चीटियां रेंग रही थीं।’ उन्होंने आरोप लगाया कि मृत राकेश की आंखों और पूरे शरीर पर चीटियां थीं।
उन्होंने आरोप लगाया, ‘जब मेरे दामाद ने नर्स को चीटियों के बारे में बताया तब उसने वार्ड में अन्य मरीजों के भर्ती होने का हवाला दते हुए उनसे वहां से शव को ले जाने को कहा। हमने शव को साफ करने की जिद की लेकिन उन्होंने कोई ध्यान नहीं दिया।’ अस्पताल की कार्यवाहक डीन डॉ. शकीरा सावस्कर ने कहा, ‘अस्पताल में आठ फरवरी से मरीज का उपचार किया। रविवार को साढ़े तीन बजे उसकी मौत हो गयी। उसके रिश्तेदारों को पहले ही बता दिया गया था कि उसकी हालत नाजुक है। रिश्तेदार करीब सवा चार बजे आये। उन्होंने हमें बताया कि वे एंबुलेंस का इंतजाम करेंगे और शव को ले जायेंगे।’
डॉ सावस्कर ने यह भी कहा कि शव को मुर्दाघर ले जाया जा सकता था लेकिन चूंकि इस संबंध में एक अनिवार्य प्रपत्र पर मरीज के रिश्तेदारों के हस्ताक्षर नहीं हो पाए थे इसलिए शव छह शाम तक वार्ड में रहा। उन्होंने कहा, ‘छह बजे परिवार के सदस्यों ने हमसे कहा कि चूंकि कुछ रिश्तेदार पुणे से आ रहे हैं, इसलिए वे अगले दिन शव लेंगे और तब शव को मुर्दाघर ले जाया गया।’ कार्यवाहक डीन ने कहा,” यह सच है कि चीटियां थीं, लेकिन नर्सों के अनुसार वे मरीज के मृत शरीर पर नहीं, बल्कि उसके बिस्तर पर थीं।
उन्होंने कहा कि चूंकि पाईप की मदद से मरीज को दूध दिया गया था इसलिए ऐसी संभावना है कि वहां दूध की बूंद गिर गई हों और चीटियां आ गयी हों। उन्होंने कहा, ‘मैं इस घटना की जांच का आदेश दूंगी। हम सुनिश्चित करेंगे कि किसी भी मरीज की मौत के आधे घंटे के अंदर, उसका शव मुर्दाघर में पहुंचा दिया जाए।’