किडनी कैंसर की दवा से दिल के मरीजों का इलाज किया जा सकेगा। यह दावा हाल ही में किए गए एक अध्ययन में किया गया है। कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि एल्डेसल्युकिन दवा का इस्तेमाल वर्तमान में किडनी कैंसर के मरीजों के इलाज में किया जा रहा है।
यह दवा हार्ट फेल होने का खतरा कम करती है। इतना ही नहीं पहले से हार्ट अटैक से जूझ रहे मरीजों में तेजी से सुधार भी होता है। शोधकर्ताओं का दावा है कि यह दवा दिल के मरीजों में रिकवरी को एक हफ्ते के अंदर 75 फीसदी तक तेज कर देती है।
ब्रिटेन की स्वास्थ्य एजेंसी एनएचएस कैंसर के इलाज में इस दवा का इस्तेमाल कर रही है। शोधकर्ताओं का कहना है कि दिल के मरीजों को एल्डेसल्युकिन दवा से सुधार देखा गया है। इसके अलावा यह दवा हृदय में ऐसे नकारात्मक बदलाव होने से रोकती है, जिसे सही नहीं किया जा सकता। शुरुआती परीक्षण में यह साबित भी हुआ है।
शोधकर्ताओं का कहना है कि दिल तक ब्लड की आपूर्ति न होने पर हार्ट अटैक होता है। ऐसे मामलों में हार्ट की मांसपेशियां प्रभावित होती हैं। 10 में से सात मरीज ठीक तो हो जाते हैं, लेकिन जो डैमेज हुआ है वह ताउम्र बरकरार रह सकता है। साथ ही भविष्य में हार्ट फेल होने की स्थिति बन सकती है।
दवा टिश्यू को खराब करने से रोकने में सक्षम
कैम्ब्रिज विश्वविद्यालय के कार्डियोलॉजिस्ट और दवा का परीक्षण करने वाले मुख्य शोधकर्ता डॉ. टियान झाओ का कहना है कि हार्ट अटैक से जूझने वाले 10 में से तीन ऐसे मरीजों में दिल की मांसपेशियों पर मौजूद टिश्यू खराब हो जाते हैं। नतीजा, ये सख्त होने लगते हैं। इनके अधिक सख्त होने पर हार्ट पूरे शरीर तक ब्लड पहुंचाने में असमर्थ हो सकता है।
यह दवा ऐसे डैमेज को रोकने की कोशिश करती है। उन्होंने कहा कि दवा का असर समझने के लिए शोधकर्ताओं ने हार्ट अटैक के बाद पहले दिन इस दवा की लो डोज मरीज को दी। इसके बाद दो महीने तक हर हफ्ते इसे दिया गया। ऐसे मरीजों का ब्लड परीक्षण किया गया। इस दौरान रिपोर्ट में सामने आया कि डैमेज को सुधार करने वाली टाइप-2 लिम्फोसाइट ब्लड सेल्स में 75 फीसदी तक बढ़ोतरी हुई।
अंतिम चरण का परीक्षण जारी
डॉ. टियान झाओ का कहना है कि वर्तमान में हमारे पास ऐसी कोई दवा नहीं है जो हार्ट में लंबे समय तक होने वाले डैमेज को रोक सके। खासकर वह डैमेज जो हार्ट अटैक के बाद देखा जाता है। ऐसे में यह दवा इस डैमेज को रोकने का सबसे सस्ता इलाज हो सकती है, क्योंकि यह आसानी से उपलब्ध है। यह दवा कब तक उपलब्ध होगी, इस पर विशेषज्ञों का कहना है कि एल्डेसल्युकिन के अंतिम चरण का ट्रायल चल रहा है। एनएचएस के मरीजों तक अगले पांच साल तक यह दवा उपलब्ध हो सकती है।
दिल के मरीजों के लिए उम्मीद जगी
शोधकर्ताओं ने बताया कि दिल का दौरा पड़ने पर अधिकांश मरीजों को अस्पताल में भर्ती कराना पड़ता है। कई बार समय पर भर्ती न होने मरीजों की मौत भी हो जाती है। वहीं, कई बार अगर मरीज बच भी जाता है तो कुछ समय बाद हृदय प्रत्यारोपण का ही एकमात्र उपचार बचता है। ऐसे में एल्डेसल्युकिन के सेवन से समाधान की उम्मीद जगी है।
जल्द सामान्य स्थिति में आएंगे मरीज
डॉ झाओ कहते हैं कि एल्डेसल्युकिन दिल की क्षति को खराब करने के बजाय जल्द ठीक करता है। इसके नियमित सेवन से हृदय में सुधार होगा। यह न केवल दीर्घकालिक समस्याओं के जोखिम को कम करेगा बल्कि यह रोगियों को तेजी से सामान्य स्थिति में भी लाएगा। उन्होंने कहा कि उम्मीद करते हैं कि ऐसे मरीजों के पास अधिक ऊर्जा और जीवन की बेहतर गुणवत्ता होगी। यह अध्ययन ब्रिटिश हार्ट फाउंडेशन और मेडिकल रिसर्च काउंसिल द्वारा वित्त पोषित था।