दिल्ली को हर साल छह महीने की बजाय आठ महीने 32 डिग्री का तापमान झेलना पड़ेगा। विश्व आर्थिक मंच ने एक रिपोर्ट में बुधवार को कहा कि ग्लोबल वार्मिंग के कारण वर्ष 2100 से यह बदलाव देखने को मिल सकता है।
अर्थ टाइम विजुअलाइजेशन रिपोर्ट के अनुसार, भारत समेत पूरे दक्षिण एशिया में लंबे समय तक गर्मी का कहर झेलना पड़ सकता है। अमेरिका में भी ऐसे ही हालात होंगे। पेट्रोल-डीजल के उपभोग में कमी के साथ कार्बन उत्सर्जन में कटौती के जरिये ही ऐसे भयावह नतीजों को टाला जा सकता है। इसके लिए सरकारों, कारोबारी जगत और नागरिक समूहों को साथ मिलकर प्रयास करने होंगे।
रिपोर्ट में कहा गया है अमेरिका में जंगलों की आग और तूफान की घटनाएं तेजी से बढ़ेंगी। वैश्विक संगठन ने कहा है कि औद्योगिकीकरण की मौजूदा पद्धतियों को बदलकर, कार्बन डाई ऑक्साइड का स्तर वायुमंडल में घटाकर और बड़े पैमाने पर पौधरोपण के जरिये हालात बदले जा सकते हैं। परिवहन और ऊर्जा उपभोग के मौजूदा तौर तरीके भी बदलने होंगे।
जुलाई-अगस्त का तापमान 38 डिग्री पहुंचेगा
रिपो्ट के अनुसार, सदी के अंत में दुनिया के कई हिस्सों में जुलाई-अगस्त के बीच तापमान औसतन 38 डिग्री तक रहेगा। अमेरिका के एरिजोना, फोनिक्स क्षेत्र में भी साल के 200 दिन तापमान 32 डिग्री तक रहेगा। जबकि ठंडे इलाकों वाले यूरोप में भी तापमान 30 डिग्री तक होगा।