एक बुजुर्ग व्यक्ति कोई काम करने के बाद खुद को कितना थका हुआ महसूस करते हैं। यह पूछने का तात्पर्य इतना भी ही है कि इससे तय हो जाएगा कि उनका जीवन कितना बचा है। अगर ज्यादा थकावट महसूस हो रही है तो समझो उनकी ईहलीला तीन साल से भी कम ही चलनेवाली है। हाल के एक अध्ययन में आए इस तरह के निष्कर्ष को ‘जरनल ऑफ जेरोन्टोलॉजी: मेडिकल साइंसेज’ में प्रकाशित किया गया है। महसूस हो रही थकान को मृत्यु दर के संकेतक के रूप में स्थापित करने वाला यह पहला अध्ययन है।
ऐसे बुजुर्ग लोग जिन्होंने कोई काम करने के बाद भयंकर थकावट महसूस कर रहे हैं तो समझो वे 2.7 वर्ष में चल बसेंगे। जबकि उन्हीं की उम्र के दूसरे लोग जो उसी तरह का काम करने के बाद बहुत कम थकान महसूस कर रहे हैं, तो समझो उनकी जीवन की लंबी पारी खेलने की दोगुनी संभावना है।
थकान का मूल्याकंन कर मृत्यु दर के संकेतक को स्थापित करने में 2.7 वर्षों तक चले अध्ययन के आधार पर तैयार ‘नोवेल पिट्सबर्ग फैटिबिलिटी स्केल’ का उपयोग किया गया है। पिट्स ग्रेजुएट स्कूल ऑफ पब्लिक हेल्थ में महामारी विज्ञान विभाग में एसोसिएट प्रोफेसर और इस शोध अध्ययन की प्रमुख लेखक नैन्सी डब्ल्यू ग्लिन ने कहा, ‘ये साल वह समय होते हैं जब लोग अधिक से अधिक शारीरिक श्रम करके नए साल के लक्ष्यों को प्राप्त करने की कोशिश करते हैं।’
उन्होंने कहा, ‘मुझे उम्मीद है कि हमारे निष्कर्ष बुजुर्गों में व्यायाम करते रहने के लिए कुछ प्रोत्साहन प्रदान करेंगे। पिछला शोध इंगित करता है कि शारीरिक रूप से अधिक सक्रिय रहने से व्यक्ति की थकान कम हो सकती है। हमारा अध्ययन ‘जल्दी मृत्यु’ से अधिक शारीरिक थकावट को जोड़ने वाला पहला है। इसके विपरीत, कम थकावट से दीर्घायु होने और और अधिक ऊर्जावान बने रहने के संकेत मिलते हैं।’
अध्ययन में 60 से अधिक उम्र के प्रतिभागी शामिल
ग्लिन और उनके सहयोगियों ने लॉन्ग लाइफ फैमिली स्टडी में 60 वर्ष या उससे अधिक उम्र के 2906 प्रतिभागियों का अध्ययन करके पिट्सबर्ग फैटिबिलिटी स्केल तैयार किया है। यह एक अंतरराष्ट्रीय अध्ययन है जो एक परिवार के दो पीढ़ियों के सदस्यों पर किया गया। इसमें कुछ गतिविधियों-जैसे इत्मीनान से 30 मिनट की पैदल दूरी तय करने, हल्का घर का काम करने या श्रमसाध्य बागवानी करने के आधार पर प्रतिभागियों को 0 से 5 तक के बीच के वर्गों में रखा गया।
इस वर्गीकरण इस बात पर आधारित था कि इन कामों में कौन बुजुर्ग कितने थके होने की बात दिमाग में लाते हैं या ऐसी कल्पना करते हैं। इस अध्ययन का समापन 2019 के अंत में कर दिया गया, ताकि कोविड-19 महामारी से मृत्यु दर में वृद्धि का इसपर असर न पड़ सके। इसमें प्रत्येक प्रतिभागी के औसतन का आंकड़े को इकट्ठा किया गया।
अवसाद, लाइलाज बीमारी आदि जल्दी मौत के कारण
मृत्यु दर को प्रभावित करने वाले विभिन्न कारकों, जैसे कि अवसाद, पहले से मौजूद या अंतर्निहित लाइलाज बीमारी, उम्र और लिंग के आधार पर टीम ने 2.7 वर्षों में स्केल पूरा करने के बाद पाया कि जिन प्रतिभागियों ने पिट्सबर्ग फैटिबिलिटी स्केल पर 25 अंक या उससे अधिक प्राप्त किए, उनके मरने की संभावना इससे कम स्कोर वालों की तुलना में 2.3 गुना अधिक थी।
जल्दी मौत के लिए गहरी थकावट को जिम्मेदार ठहराने के अलावा, ग्लिन ने कहा कि उनके अध्ययन से पिट्सबर्ग फैटिबिलिटी स्केल तैयार हुआ, जिसे उन्होंने और उनके सहयोगियों ने 2014 में तैयार किया था। तब से इसका 11 भाषाओं में अनुवाद हो चुका है।
सुझाव-
लोग शारीरिक गतिविध बढ़ा कर थकान कम कर सकते हैं। शारीरिक गतिविधि को बढ़ाने के सर्वोत्तम तरीकों में से एक है – नियमित रूप से चलना या नियमित व्यायाम के साथ अपनी दिनचर्या शुरू करना। इसका सीधा मतलब है कि आपको लक्ष्य निर्धारित करना होगा।
– नैन्सी डब्ल्यू ग्लिन, महामारी विज्ञान की विशेषज्ञ