यूक्रेन को लेकर रूस और अमेरिका आमने-सामने हैं। अमेरिका ने रूस को चेतावनी देते हुए कहा है कि अगर रूस यूक्रेन पर हमला करता है तो हम रूस पर ऐसे प्रतिबंध लगाएंगे जो उसने कभी नहीं देखे होंगे। वहीं रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने पश्चिमी देशों से गारंटी मांगी है कि उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) आगे पूर्व की ओर विस्तार नहीं करेगा। इस पूरे मामले का भारत पर क्या असर पड़ेगा, आइए समझने की कोशिश करते हैं।
भारत की चुप्पी, रूस को समर्थन?
एक्सपर्ट्स का मानना है कि यूक्रेन पर रूसी कार्रवाई से अमेरिका, यूरोप और रूस के साथ भारत को संतुलन बनाने में बहुत दिक्कत आएगी। जब मॉस्को ने क्रीमिया पर कब्जा किया था तो नई दिल्ली खुले तौर पर न आलोचना कर सकती थी और न ही मॉस्को का समर्थन कर सकती थी। हालांकि भारत की चुप्पी को समर्थन के रूप में देखा जाएगा। यह भी संभव है रूस खुले तौर पर भारत से मदद मांगे, ऐसे में भारत क्या करेगा?
अमेरिका से खराब हो सकते हैं संबंध?
सोवियत संघ के विघटन के बाद भी भारत रूस के मजबूत संबंध बनाए रखा है। रूस ने चीन के साथ भी घनिष्ठ संबंध बनाए हैं और दोनों देशों ने मिलकर अमेरिका की संभावनाओं को सीमित करने की कोशिश की है। 2000 के करीब से भारत और अमेरिका के संबंधों में तेजी से सुधार होने लगा। भारत ने रूस के साथ संबंध मंजबूत करने के साथ-साथ अमेरिका के साथ भी अपने संबंधों को मजबूत किया है।
ऐसे वक्त में जब अमेरिका भारत को काट्सा प्रतिबंधों में छूट देने पर विचार कर रहा है। भारत के लिए रूस का समर्थन करना आसान नहीं होगा। यूरोपीय देश रूस से बिगड़ते संबंध को लेकर चीन पर अपना फोकस बढ़ा सकती हैं और यह भी भारत के लिए प्रतिकूल ही है। क्योंकि नई दिल्ली, बीजिंग को संतुलित रखने के लिए सामान विचारों वाले देशों के साथ काम कर रहा है।
राजनयिक समाधान की उम्मीद करेगा भारत
यूक्रेन संकट को लेकर भारत की कई और चिंताएं भी हैं। यूक्रेन में करीब 10 हजार भारतीय रह रहे हैं। भारत और यूक्रेन के बीच आर्थिक, रक्षा और व्यापार संबंध हैं। ऐसे में सिद्धांत संबंधी चिंताएं भी हैं। ऐसे में भारत यूक्रेन को लेकर किसी सैन्य समाधान के बदले राजनयिक समाधान की उम्मीद करेगा।