प्रयागराज के नैनी में लेप्रोसी चौराहे के बाद अब मेजारोड में नकली टाइम बम के जरिए सनसनी फैलाने की कोशिश की गई। मेजारोड रेलवे स्टेशन के पश्चिम साइड बने रेलवे अंडरपास ब्रिज में गुरुवार रात शरारती तत्वों ने टाइमर घड़ी के जरिए डिवाइस बनाकर रख दिया। दूर से रेड लाइटिंग और टिक-टिक की आवाज सुन यात्री दहल उठे।
टाइम बम प्लांट करने की खबर फैली तो खलबली मच गई। रेलवे अफसरों के साथ एसएसपी पहुंच गए। जांच शुरू होने से पहले प्रयागराज-पं दीनदयाल उपाध्याय रेलवे रूट की ट्रेनों को जहां-जहां रोक दिया गया। दिल्ली-हावड़ा रूट की 20 से अधिक ट्रेनों को रोक दिया गया। कई मालगाड़ियों को भी रोका गया।
बम निरोधक दस्ता (बीडीएस) समेत कई टीमें मौके पर पहुंच गईं। बम डिस्पोजल स्क्वायड ने डिवाइस को वहां से निकाल डिफ्यूज की कार्रवाई की। गहनता से जांच के बाद साफ हुआ कि वह नकली बम है। किसी ने घड़ी में टाइटिंग फिट कर सनसनी फैलाने की कोशिश की। इसके बाद रेलवे अफसरों ने सूचना जारी कर ट्रेनों का आवागमन बहाल कराया।
पुलिस अधिकारियों का कहना है कि यह साजिश है। जांच कर मामले से पर्दा उठाया जाएगा। बम की सूचना की वजह से दिल्ली- हावड़ा रूट पर पटना राजधानी, महाबोधि एक्सप्रेस, भुवनेश्वर एक्सप्रेस, दुरंतो, बीकानेर हावड़ा और मगध एक्सप्रेस समेत करीब बीस गाड़ियां रोकी गईं थीं। रात साढ़े नौ बजे से साढ़े ग्यारह बजे तक ट्रेनें रुकी रहीं। इसके बाद रूट बहाल हो सका।
मेजारोड-सिरसा मार्ग पर बने रेलवे अंडरपास पर बम होने की अफवाह रात नौ बजे के करीब फैली। यात्रियों ने देखा कि वहां लाल रंग की लाइट टिमटिमा रही है। घड़ी की आवाज भी निकल रही थी। सबसे पहले मामले की सूचना पुलिस को दी गई। इसके बाद आरपीएफ पहुंच गई। बम सरीखा डिब्बा दिखने से अफवाह फैल गई।
शुरू में सभी को लगा कि टाइमर बम है। अफसरों ने पहुंच रास्ता खाली करा दिया। आसपास रहने वालों को भी हटाया गया। यह अति व्यस्त दिल्ली हावड़ा रूट है। ऐसे में रेलवे अफसरों ने आसपास पहुंच रही ट्रेनों को रोक दिया। ट्रेनें जहां थी वहां रोकी गईं। एसएसपी समेत अन्य अफसरों ने पहुंच जांच टीम से उसे अंडरपास से निकलवाया।
आगे की जांच से साफ हुआ कि वह बम नहीं है। एसएसपी अजय कुमार के मुताबिक, किसी ने शरारत कर घड़ी लगाकर बम दिखाने की सनसनी फैलाई। इससे पहले नैनी में लेप्रोसी चौराहे के पास बने रेलवे अंडरपास ब्रिज पर ‘बोतल बम’ मिला था। उसके साथ एक पत्र था, जिसके जरिए आठ करोड़ रुपये की मांग की गई थी।