हल्दी में करक्यूमिन तत्व पाया जाता है। यह एंटीऑक्सीडेंट से युक्त एक फाइटोन्यूट्रियंट है, जो जोड़ों, हृदयवाहिनियों के साथ संपूर्ण सेहत को ठीक रखने में मदद करता है। कई फूड सप्लीमेंट में भी इसका प्रयोग किया जाता है।
कोरोना काल में आयुष मंत्रालय समेत विभिन्न विशेषज्ञ इम्यून तंत्र की मजबूती के लिए हल्दी का दूध या काढ़ा पीने पर जोर दे रहे हैं। हमारे यहां लंबे समय से हल्दी को मसाले के साथ-साथ औषधि के रूप में प्रयोग किया जाता रहा है। अब आयुर्वेद ही नहीं, एलोपैथी जगत में भी हल्दी के गुणों को स्वीकार किया जा रहा है। शोध बताते हैं कि निश्चित मात्रा में हल्दी का सेवन, कैंसर जैसे गंभीर रोगाें में भी गुणकारी साबित हो सकता है।
इटली में घुटनों की आर्थ्राइटिस से पीड़ित कुछ मरीजों पर अध्ययन किया गया। आधे मरीजों को हल्दी से बनी विशेष औषधि दी गई, जबकि आधे मरीजों का उपचार इस रोग में अपनाई जाने वाली मानक चिकित्सा पद्धति से किया गया। जिस समूह को हल्दी वाला फॉर्म्यूलेशन दिया गया था, उसके भावनात्मक स्वास्थ्य में बेहतरी व सी-रिएक्टिव प्रोटीन (दर्द का संकेतक) में कमी देखने को मिली। इस समूह के लोग, दूसरे समूह के मुकाबले अपने उपचार में दर्द निवारक दवाओं का प्रयोग 63 प्रतिशत तक कम करने में सक्षम हुए।
पेट में अल्सर
बहुत ज्यादा मात्रा में एनएसएआईडीज दवाओं का सेवन, तनाव और कई अन्य कारणों का परिणाम हो सकता है पेट का अल्सर। कुछ साल पहले एक अध्ययन ‘एंटी-ऑक्सीडेंट्स एंड रेडॉक्स सिग्नलिंग जर्नल’ में प्रकाशित हुआ था। इसके अनुसार, हल्दी में मौजूद करक्यूमिन रक्त-वाहिकाओं को जरूरी स्थानों पर मदद पहुंचा सकता है और एनएसएआईडीज द्वारा क्षतिग्रस्त कोलेजन फाइबर को ठीक कर सकता है।
सांस से जुड़ी समस्याएं
हल्दी, संक्रमण के दौरान श्वसन नलिकाओं में होने वाली सूजन कम करने में मदद कर सकती है। यह मैक्रोफेज (इम्यून प्रतिक्रिया शुरू करने वाली कोशिकाएं) की सक्रियता को दबा देता है, जो सूजन के लिए जिम्मेदार होती हैं। हल्दी एक शानदार एंटी-ऑक्सीडेंट है, जो इन्फेक्शन से कोशिकाओं को होने वाली क्षति को कम करती है। हल्दी के तेल की भाप लेने से कफ और बलगम में काफी राहत मिलती है। ब्रोंकाइटिस के लक्षणों में भी राहत मिलती है।
दिमागी रोगों में भी मददगार
न्यूरोलोजिकल मेडिकल के क्षेत्र में किए गए एक शोध में, जब हल्दी में पाए जाने वाले एक खुशबूदार यौगिक टरमेरियोन को चूहों के न्यूरो स्टेम सेल पर लगाया गया, तो पाया गया कि इससे चूहों के मस्तिष्क में बेहतर सुधार आया। साथ ही, मस्तिष्क की खुद को ठीक करने की क्षमता 80 प्रतिशत तक बढ़ गई। हालांकि मनुष्यों पर ठीक यही विधि प्रयोग नहीं की जा सकती, लेकिन इससे अल्जाइमर और डिमेंशिया जैसे रोगों के उपचार की संभावना के द्वार खुल सकते हैं।
कोलेस्ट्रॉल कम करती है हल्दी
शोध कहते हैं कि करक्यूमिन तत्व आर्टिरीअल प्लेक को साफ करने में मदद करता है। ‘इंडियन जर्नल ऑफ फिजियोलॉजी एंड फार्मकालजी’ में प्रकाशित एक शोध के अनुसार, दस स्वस्थ प्रतिभागियों ने एक सप्ताह तक रोज 500 मिलिग्राम करक्यूमिन लिया। इससे न सिर्फ उनके ऑक्सीकृत एलडीएल कोलेस्ट्रॉल के ब्लड लेवल में 33 प्रतिशत की कमी आई, बल्कि उनका कुल कोलेस्ट्रॉल 11.63 प्रतिशत कम हो गया। एचडीएल में भी वृद्धि हुई।
दर्दनाशक है हल्दी
हल्दी गठिया, जोड़ों के दर्द के उपचार में मददगार हो सकती है। इस सम्बंध में किए गए हालिया शोधों में यह बात सामने आई है कि आर्थ्राइटिस से होने वाले दर्द और जकड़न से राहत दिलाने के मामले में हल्दी नॉन-स्टेरॉइडल एंटी-इन्फ्लेमेटरी ड्रग्स (एनएसएआईडीज) जैसा काम करती है। ये मांसपेशियों में मोच, चोट, कैंसर, ‘इर्रिटेबल बाउल सिंड्रोम’ और लीवर रोगों में फायदा पहुंचाती है।