क्या रोटियां, परांठे या ब्रेड के बिना आप अपने रोज के आहार की कल्पना कर सकते हैं? ये सभी चीजें आटे से बनती हैं और आटा अनाजों से। अनाज ऊर्जा का प्रमुख स्रोत हैं। अपने और परिवार की अच्छी सेहत के लिए सही आटे का चुनाव जरूरी है, बता रही हैं शमीम खान-
आयुर्वेद में अनाज को शुकधान्य कहा जाता है। यह आयुर्वेदिक आहार का एक जरूरी भाग है। शरीर की कार्यप्रणाली को सामान्य बनाए रखने के लिए इनका सेवन जरूरी है। सेहतमंद रहने के लिए हमें ऐसे भोजन का सेवन करना चाहिए, जिसमें मैक्रो-न्युट्रिएंट्स (कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन और वसा) और माइक्रो-न्युट्रिएंट्स (मिनरल्स और विटामिन्स) संतुलित मात्रा में हों। अनाजों में सभी आवश्यक पोषक तत्व पाए जाते हैं। ये हमें ऊर्जा देते हैं, इनमें फाइबर भी भरपूर होता है। पर, इन अनाजों से आटा तैयार करने की प्रक्रिया में इनकी पोषकता में कमी आ जाती है। पोषकता भोजन पकाने के तरीके पर भी निर्भर करती है।
हममें से अधिकतर लोग केवल गेहूं के आटे और उससे बनी चीजों का ही सेवन करते हैं, विशेषकर शहरों में रहने वाले लोग। लेकिन आधुनिक जीवनशैली और खानपान की गलत आदतें जिस तरह से हमारी सेहत के लिए खतरा बनती जा रही हैं, हमें अपने डाइट चार्ट में दूसरे अनाजों से तैयार आटों को भी स्थान देना चाहिए।
कुछ लोग वजन कम करने या मनचाही फिटनेस पाने के लिए आटे का सेवन बिल्कुल बंद कर देते हैं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि यह पूरी तरह गलत है। जरूरी है कि हम बेहतर विकल्प चुनें।
विभिन्न प्रकार के आटे
गेहूं का आटा
गेहूं से केवल आटा ही नहीं, मैदा, सूजी, दलिया आदि भी तैयार किए जाते हैं। रोटी, ब्रेड, बिस्किट, टोस्ट, केक, पेस्ट्री, नूडल्स, पास्ता, मैक्रोनी आदि जैसी अनगिनत चीजें गेहूं से बने उत्पादों से तैयार होती हैं। यह दुनिया में सबसे अधिक खाया जाता है।
गेहूं को साबुत रूप में खाना सबसे अच्छा रहता है। इसे पीसने के बाद छानना नहीं चाहिए, चोकरयुक्त आटे का सेवन करें। व्हाइट ब्रेड की बजाय आटा ब्रेड या होल-ग्रेन ब्रेड खाना बेहतर है। बाजार में होल-ग्रेन नूडल्स, पास्ता और मैक्रोनी भी आसानी से उपलब्ध हैं।
मैदे और उससे बने उत्पादों का सेवन बिल्कुल न करें। यह शरीर के लिए धीमे सफेद जहर की तरह काम करता है। दरअसल मैदा, गेहूं का वह आटा है, जिसे बनाने में सभी पोषक तत्व निकल जाते हैं, केवल कार्बोहाइड्रेट बचता है।
न करें सेवन: गेहूं के आटे में पानी मिलाने पर जो चिपचिपा और लचीलापन आता है वो ग्लुटन के कारण आता है। इसमें पाए जाने वाले कुल प्रोटीन का 80 प्रतिशत ग्लुटन होता है। यह गंभीर इम्यून प्रतिक्रिया ट्रिगर कर सकता है। जिन्हें सिलिएक डिसीज, ग्लुटन और गेहूं से एलर्जी और इरिटेबल बाउल सिंड्रोम है, उन्हें गेहूं नहीं खाना चाहिए।
ओट्स या जई का आटा
ओट्स या जई की पोषकता को देखते हुए इसे सुपर ग्रेन की संज्ञा दी जाती है। ओट्स विटामिनों, खनिजों और फाइबर से भरपूर होता है। दुनियाभर में इसका सेवन बढ़ रहा है। यह घुलनशील फाइबर बीटा-ग्लुकान का बेहतरीन स्रोत है, जो पाचन तंत्र के ठीक से काम करने में मदद करता है। यह शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल को भी कम करता है।
ओट्स खाने के बाद पेट काफी देर तक भरा हुआ लगता है। वजन कम करने के इच्छुकों को इसे खाने की सलाह दी जाती है। इसका घुलनशील फाइबर कार्बोहाइड्रेट के पाचन को धीमा कर देता है, जिससे रक्त में शुगर का स्तर तेजी से नहीं बढ़ता है। कैसे करें सेवन: बाजार से मैदे की बजाए ओट्स से बने नूडल्स, मैक्रोनी और पास्ता लिए जा सकते हैं। रोज के आटे में थोड़ी मात्रा में ओट्स का आटा मिलाकर खाएं।
बार्ली या जौ का आटा
जौ के आटे में कैलोरी और वसा की मात्रा ओट्स से भी कम होती है, पर फाइबर खूब होता है। यह वजन कम करने के लिए अच्छा माना जाता है। जौ आंतों में पाए जाने वाले आवश्यक बैक्टीरिया का संतुलन बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। जौ, शुगर के स्तर को काबू रख टाइप 2 डायबिटीज के खतरे को कम करता है। तो न करें सेवन: जौ की तासीर ठंडी होती
है। जिन्हें दमा या श्वसन से जुड़ी समस्याएं हैं, वे इसे सीमित मात्रा में खाएं। गर्भवती और स्तनपान कराने वाली महिलाओं को भी इसे नहीं खाना चाहिए। जौ में ग्लुटन काफी होता है। ग्लुटन की एलर्जी है, तो इसे ना खाएं।
मक्का का आटा
मक्का का आटा फाइबर, विटामिन, मिनरल और एंटी ऑक्सीडेंट्स से भरपूर होता है। कार्बोहाइड्रेट व शुगर ज्यादा होने के बावजूद, यह हाई ग्लाइसेमिक फूड नहीं है, इसलिए ये रक्त में शुगर के स्तर को तेजी से नहीं बढ़ाता है। यह विटामिन ए, बी, ई और कई मिनरल का अच्छा स्त्रत्तेत है। आयुर्वेद में गर्मियों में इसे खाने की सलाह देते हैं। यह पित्त दोष शांत करता है। जिन्हें कब्ज रहती है, उनके लिए इसका सेवन अच्छा है। यह उच्च रक्तदाब को भी ठीक करता है।
कैसे खाएं: इसे सीमित मात्रा में ही खाएं। मक्का में 28-80 तक कार्बोहाइड्रेट होता है, जो अधिकतर स्टार्च होता है। इसमें थोड़ी मात्रा में शुगर (1-3 प्रतिशत) भी होती है।
बाजरा का आटा
बाजरा का आटा प्रोटीन का अच्छा स्रोत है। इसे मांसपेशियों को स्वस्थ्य और मजबूत बनाए रखने के लिए अच्छा माना जाता है। यह श्वसन तंत्र ठीक रखता है। यह दमा रोगियों के लिए अच्छा होता है। फाइबर अधिक होने से ये पाचन में सहायता करता है। शरीर में बुरे कोलेस्ट्रॉल को कम कर हृदय रोगों से बचाव करता है। यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है।
कैसे खाएं: इसके आटे की तासीर गर्म होती है। इसे गर्मी में ज्यादा न खाएं। अधिक मात्रा में खाने से शरीर में गर्मी बढ़ती है, जिससे पाचन से जुड़ी समस्याएं हो सकती हैं।
चने का आटा
बेसन में कैलोरी गेहूं के आटे से कम होती है। चने में प्रोटीन की मात्रा बाकी अनाजों से अधिक होती है, इसका सेवन मांसपेशियों को मजबूती देता है। यह रक्त में शुगर के स्तर को बेहतरीन तरीके से नियंत्रित करता है। इसमें मैग्नीशियम भी काफी होता है। ऐसे में इसके सेवन से डायबिटीज की चपेट में आने का खतरा कम होता है। एक अध्ययन में यह सामने आया है कि जिन्हें डायबिटीज होती है, उनमें मैग्नेशियम की कमी पाई जाती है। चने के आटे में फोलेट काफी मात्रा में होता है, जो हृदय तंत्र के रोगों के खतरे को कम करता है। इसमें मैदे की तुलना में फाइबर की मात्रा तीन गुनी होती है, इससे कब्ज में आराम मिलता है।
मल्टी-ग्रेन आटा
स्वास्थ्य विशेषज्ञों का मानना है कि एक तरह के आटे की बजाय कई तरह के अनाजों को मिलाकर बना आटा खाएं। इससे पोषकता और स्वाद दोनों बढ़ जाते हैं। पोषक तत्व और फाइबर की अधिकता के कारण इसके सेवन से इम्यून तंत्र मजबूत बनता है। गेहूं की तुलना में इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स अधिक होने से यह शुगर के स्तर को काबू रखता है। हृदय और किडनी के लिए भी इसे अच्छा माना जाता है।
कैसे तैयार करें
बाजार में कई कंपनियों के मल्टीग्रेन आटे उपलब्ध हैं, आप अपनी जरूरत के अनुसार इनमें से चुन सकते हैं। आप घर पर भी इसे आसानी से तैयार कर सकते हैं।
न्युट्रीशनिस्ट के अनुसार, 11 किलो मल्टी-ग्रेन आटा तैयार करने के लिए विभिन्न प्रकार के अनाजों को निम्न अनुपात में मिलाएं:
● गेहूं 7 किलो ● ज्वार 500 ग्राम ● रागी 500 ग्राम ● सोयाबीन 500 ग्राम ● जौ 500 ग्राम ● जई 500 ग्राम ● चना 500 ग्राम ● मक्का 500 ग्राम ● बाजरा 500 ग्राम
आयुर्वेद के अनुसार, मल्टी-ग्रेन आटा बनाने के लिए विभिन्न अनाजों को निम्न अनुपात में मिलाएं:
● गेहूं 1 भाग ● जौ1/4भाग ● चना 1/4 भाग ● बाजरा 1/4 भाग ● मूंग1/4 भाग
हमारे विशेषज्ञ
डॉ. मिहित अग्रवाल, बालाजी सुपर स्पेशियलिटी हॉस्पिटल, गाजियाबाद।
डॉ. संदीप मदान, एम.डी. आयुर्वेद, आस्था आयुर्वेदिक क्लिनिक, दिल्ली।
डॉ. सविता, न्यूट्रिशनिस्ट एंड डायबिटीज एजुकेटर, फ्लोरेंस हॉस्पिटल, गाजियाबाद।
फैक्ट फाइल
● शिकागो युनिवर्सिटी में हुए शोध के अनुसार, मक्का का सेवन मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा होता है। इससे उम्र बढ़ने के साथ अल्जाइमर्स का खतरा भी कम होता है।
● चीन में हुए शोध के अनुसार, पिछले कुछ वर्षों में वहां के लोगों में आंतों के कैंसर के मामले बहुत बढ़े हैं। इसका प्रमुख कारण फॉस्ट फूड के बढ़ते चलन की वजह से मैदे का सेवन बढ़ना है।
● नेचर नामक पत्रिका में छपे एक लेख के अनुसार, चोकरयुक्त आटे का सेवन सेहत के लिए अच्छा है, क्योंकि व्हीट ब्रान में पाए जाने वाले तत्व प्री-बायोटिक की तरह काम करते हैं, आंतों में रहने वाले उपयोगी बैक्टीरिया को पोषण उपलब्ध कराते हैं।