एक ओर जहां देश में ओमिक्रॉन की वजह से कोरोना के मामले फिर से बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी ओर राजस्थान सरकार ने देश के पहले ‘स्वास्थ्य का अधिकार कानून’ का एक मसौदा तैयार किया है। इस मसौदे में मरीजों, उनके अटेंडेंट्स और हेल्थकेयर प्रवाइडर्स के अधिकारों को परिभाषित किया गया है। इसके साथ ही इस नए कानून में इनकी शिकायतों के समाधान के लिए एक प्रभावी सिस्टम भी तैयार किया गया है।
इस मसौदे से बुनियादी तौर पर जुड़े राजस्थान सरकार के एक अधिकारी ने बताया कि राज्य कैबिनेट की मंजूरी मिलने के बाद मार्च में शुरू होने वाले विधानसभा के बजट सत्र में इस विधेयक को पेश किया जाएगा। अधिकारी ने कहा कि सभी स्टॉक होल्डर्स से बातचीत करने के बाद कैबिनेट इसका फाइनल ड्राफ्ट तैयार करेगी। राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने 2021 के बजट में घोषणा की थी कि प्रदेश में सभी को स्वास्थ्य का अधिकार प्रदान किया जाएगा। उन्होंने इसके लिए 3,500 करोड़ रुपये की यूनिवर्सल हेल्थकेयर स्कीम की भी घोषणा की थी। इस स्कीम के तहत राज्य के प्रत्येक परिवार को 5 लाख रुपये तक का चिकित्सा बीमा का लाभ मिलना था।
मरीजों के अधिकारों को सुनिश्चित करेगा बिल
अधिकारियों के अनुसार, ‘स्वास्थ्य का अधिकार’ सरकारी और प्राइवेट स्वास्थ्य संस्थानों में आम लोगों को कुछ अधिकारों की गारंटी देता है। उन्होंने कहा, ‘राजस्थान सरकार पहले से ही मुफ्त दवाएं, टेस्टिंग और 5 लाख रुपये तक का चिरंजीवी स्वास्थ्य बीमा जैसी सुविधाएं उपलब्ध करा रही है। यह कानून न केवल इन सुविधाओं को ठीक तरह से उपलब्ध कराएगा बल्कि मरीजों और उनके अटेंडेंट्स के अधिकारों को भी सुनिश्चित करेगा।’
गोपनीय रहेगा मरीज का हेल्थ रेकॉर्ड
अधिकारी ने कहा कि यह बिल मरीज या उसके अटेंडेंट को कुछ बीमारियों के इलाज की लागत जानने का अधिकार प्रदान करता है। इसके साथ ही उन्हें इस बात का भी अधिकार मिलेगा कि वे इलाज से संतुष्ट न होने पर किसी अन्य डॉक्टर से कन्सल्ट करके मरीज को डिस्चार्ड करा सकें। इसके साथ ही बिल में अस्पतालों के लिए मरीज के हेल्थ रिकॉर्ड की गोपनीयता बनाए रखना भी अनिवार्य रखा गया है। स्वास्थ्य विभाग के एक अन्य वरिष्ठ अधिकारी ने कहा, ‘इसका उद्देश्य हेल्थ सिस्टम में पारदर्शिता के साथ-साथ मरीजों का सस्ता इलाज सुनिश्चित करना है।’
गांवों में भी स्वास्थ्यकर्मियों को करना होगा काम
अधिकारी ने कहा कि आमतौर पर यह देखा जाता है कि शहरी क्षेत्रों में स्वास्थ्य कर्मचारी अधिक हैं और ग्रामीण क्षेत्रों में उनकी कमी रहती है। उन्होंने कहा, ‘नया कानून यह सुनिश्चित करेगा कि मरीजों और हेल्थ वर्कर्स के बीच समानता हो। इसके लिए एक ट्रांसफर और पोस्टिंग पॉलिसी लागू होगी, जिससे यह सुनिश्चित होगा कि स्वास्थ्य कर्मियों को ग्रामीण क्षेत्रों में काम करना होगा।’ अधिकारी ने कहा कि इसी तरह की एक 1991 से तमिलनाडु में लागू है और वहां की ग्रामीण स्वास्थ्य सेवाओं में काफी सुधार देखने को मिला है।