बड़ी संख्या में दूसरे प्रदेशों से काम की तलाश लोग दिल्ली आते हैं। यहां वह किराये के मकान में रहते हैं। पिछले छह महीने में पहले लॉकडान और अब कोरोना वायरस के फैलाव की वजह से काम-धंधे ठप पड़े हैं।
ऐसे में किरायेदार व मकान मालिक के बीच किराये व मकान खाली कराने जैसे मुद्दों को लेकर कानूनी विवाद बढ़ गए हैं। एकदम से बढ़े इन मामलों के प्रति न्यायिक अधिकारियों ने नरम रुख अपनाने का निर्णय किया है। साथ ही इन मामलों के जल्द निपटारे का फैसला भी किया गया है।
इस बार एक आदेश जारी किया गया है जिसमें कहा गया है कि मार्च से कोरोना वायरस के कारण शुरु हुए लॉकडाउन ने बड़ी संख्या में बाहरी व स्थानीय लोगों की जीवन-शैली को प्रभावित किया है। एक तरफ जहां बाहरी लोगों का काम-धंधा बंद होने के कारण कोई कमाई का जरिया नही रहा और ना ही शुरुआत में उनके वापस अपने प्रदेश/मूल निवास लौटने का कोई साधन था, वहीं मकानमालिकोंं की भी अपनी मजबूरी थी। कुछ लोग किरायेदारी से अपना जीवन-यापन चलाते हैं। ऐसे में दोनों पक्षकारों का अपना दर्द और दुविधाएं रहीं।
वरिष्ठ न्यायिक अधिकारियों ने तमाम पहलुओं पर गौर करते हुए निर्णय किया कि इन मामलोंं में दोनों पक्षों को सुनने के बाद तय किया जाए कि लॉकडाउन के दौरान ज्यादा पीड़ित कौन सा पक्ष था किरायेदार या मकानमालिक। जिसकी मुश्किलें ज्यादा हों उसके पक्ष में फैसला सुनाया जाए। हालांकि यह भी कहा गया है कि लॉकडाउन के दौरान जबरन मकान खाली करने का दबाव बनाने वाले मकानमालिकों के मामलों को सख्ती से निपटा जाए। क्योंकि उस दौर में किरायेदार चाहकर भी मकान खाली करने की स्थिति में नहीं था।
एक महीने में चार सौ से ज्यादा मामले आए
लॉकडाउन खत्म होने के बाद जिला अदालतोंं में एक महीने के भीतर ही चार सौ से ज्यादा किरायेदार व मकानमालिकों के कानूनी विवाद पहुंच गए हैं। अगस्त महीने में 417 मामले विभिन्न अदालतों में दायर किए गए। जहां अधिकांश मामलों में किरायेदार दलील पेश कर रहे हैं कि लॉकडाउन के दौरान मकानमालिक ने किराया देने अथवा मकान खाली करने का दबाव बनाया। वहीं, कुछ मकानमालिकों का कहना है कि उनके पास कमाई का एकमात्र जरिया मकान किराये पर देना है। लॉकडाउन में किराया ना मिलने के कारण पूरा परिवार भूखों मरने की कगार पर आ गया। वहीं, कुछ मकानमालिकों की तरफ से कहा गया कि उनके घर में कोरोना पॉजिटीव मरीज को आईसोलेट करने के लिए जगह नहीं थी इसलिए उन्होंने किरायेदार को मकान खाली करने को कहा, ताकि घर के बीमार सदस्य को क्वारंटाइन किया जा सके।
न्यायिक अधिकारियो को दो दिन की दिया जा रहा है प्रशिक्षण
नए किराया कानून के तहत न्यायिक अधिकारियों को प्रशिक्षित करने के लिए दो दिवसीय प्रशिक्षण दिए जाने की तैयारी की गई है। 18 व 19 सितंबतर को वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से यह प्रशिक्षण दिया जा रहा है। इस प्रशिक्षण को रिफ्रेस कोर्स ऑन दिल्ली रेंट कंट्रोल लॉ का नाम दिया गया है। इसक मकसद इन मामलों को सुनने वाले न्यायिक अधिकारियों को नए नजरिए से सुनने के लिए प्रशिक्षित करना है।