अगर कोई काफी लंबे समय से चिंताग्रस्त है या व्यग्रता का शिकार है तो उस पर दवाओं का या थेरेपी का उतना असर नहीं होगा जितना कि कठोर व्यायाम का असर होगा। अनुशासित और नियमित रूप से किया गया कठोर व्यायाम पुरानी से पुरानी चिंता के मर्ज को कम कर देता है।
स्वीडन के शोधकर्ताओं ने पाया कि कार्डियो संबंधी ‘मध्यम और कठिन’- दोनों तरह के व्यायाम करने से 12 सप्ताह में चिंता के लक्षण खत्म हो गए। दोनों तरह के व्यायाम ने लंबे समय से चिंता के विकार को भी प्रभावी ढंग से कम कर दिया। परिणाम बताते हैं कि चिंता दूर करने के लिए दवाओं और चिकित्सा की तुलना में अधिक ‘सरल’ उपचारों की आवश्यकता होती है। इसकी दवाएं बहुत महंगी और कभी-कभी अप्रभावी होती हैं।
यह अध्ययन स्वीडन के गोथेनबर्ग विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने किया था और इसे ‘जरनल ऑफ अफेक्टिव डिसऑर्डर’ में प्रकाशित किया गया। लेखकों ने अपने शोध पत्र में लिखा है कि ‘प्राथमिक देखभाल में चिंता सिंड्रोम वाले मरीजों के लिए 12 सप्ताह का व्यायाम कार्यक्रम प्रभावी साबित हुआ’।
शोधकर्ताओं ने स्वीडन के पश्चिमी तट पर गोथेनबर्ग और हॉलैंड काउंटी के उत्तरी भाग के ‘प्राथमिक देखभाल सेवाकेंद्र’ के चिंता के मर्ज वाले 286 रोगियों को अपने अध्ययन में शामिल किया। इनकी औसत आयु 39 वर्ष थी और इनमें से 70 प्रतिशत महिलाएं थीं। इनमें से लगभग आधे प्रतिभागी 10 से अधिक वर्षों से चिंताग्रस्त रह रहे थे। अध्ययन में शामिल इन प्रतिभागियों को 12 सप्ताह के लिए व्यायाम करने को कहा गया। व्यायाम या तो मध्यम या ज़ोरदार श्रेणी के व्यायाम थे।
वहां पर शारीरिक थेरेपी करनेवाले चिकित्सक को भी मार्गदर्शन के लिए रखा गया। दोनों तरह के उपचार समूहों के लिए सप्ताह में तीन बार 60-60 मिनट का प्रशिक्षण सत्र रखा गया। इस दौरान चिंताग्रस्त प्रतिभागियों को- घबराहट, तेजी से सांस लेना, हृदय गति में वृद्धि और कांपना- जैसे चिंता के लक्षणों की गंभीरता के बारे में खुद ही रिपोर्ट करने को कहा गया।
इसमें आए नतीजे बताते हैं कि सरकारी स्वास्थ्य सिफारिशों के अनुसार शारीरिक गतिविधि करने वाले समूह की तुलना में उस समूह के पुराने से पुराने मरीजों में चिंता के लक्षण काफी कम हो गए, जिन्होंने व्यायाम वाले सत्र में हिस्सा लिया।
कैसे-कैसे व्यायाम
– व्यायाम प्रशिक्षकों के मार्गदर्शन में उपचार समूह में सप्ताह में तीन बार 60-60 मिनट का व्यायाम सत्र रखा गया।
– सत्रों में कार्डियो (एरोबिक) और ताकत के प्रशिक्षण- दोनों शामिल थे। वार्मअप के बाद लगभग 12 बिंदुस्थलों पर 45 मिनट तक सर्कल प्रशिक्षण दिया गया। सत्र का समापन विश्राम और शरीर के खिंचाव की क्रिया के साथ समाप्त हुआ।
– मध्यम स्तर के व्यायाम करने वाले समूह के सदस्यों को अपनी अधिकतम हृदय गति (हल्के या मध्यम के रूप में मूल्यांकन की गई परिश्रम की एक डिग्री) को 60 प्रतिशत तक कर लेना था।
– जिस समूह ने गहन व्यायाम किया, उसका उद्देश्य अधिकतम हृदय गति 75 प्रतिशत करना था (इस डिग्री के परिश्रम को उच्च माना जाता था)।
– बोर्ग स्केल का उपयोग करके स्तरों को मान्य किया गया था और हृदय गति की मॉनीटरिंग करके इसकी पुष्टि की गई। बोर्ग स्केल शारीरिक परिश्रम के लिए एक स्थापित रेटिंग पैमाना है।
क्या बोटॉक्स से चिंता कम हो सकती है?
– बोटॉक्स या बोटुलिनम टॉक्सिन, एक जीवाणु के टॉक्सिन से प्राप्त दवा है। इसका उपयोग चिंता के मर्ज को दूर करने के लिए किया जाता है।
– बोटॉक्स झुर्रियों को कम करने के लिए जाना जाता है, लेकिन यह चिंता को कम करने में भी मदद कर सकता है।
– कैलिफ़ोर्निया के वैज्ञानिकों ने पाया कि बोटॉक्स इंजेक्शन चिंता को 72 प्रतिशत तक कम कर सकते हैं।
– बोटॉक्स या बोटुलिनम टॉक्सिन का उपयोग झुर्रियां, माइग्रेन, मांसपेशियों में ऐंठन, अत्यधिक पसीना और असंयम को कम करने के लिए किया जाता है।
– यह स्पष्ट नहीं है कि यह चिंता के लक्षणों को कैसे कम करता है, हालांकि शोधकर्ताओं का अनुमान है कि बोटुलिनम विषाक्त पदार्थों को मूड और भावनाओं में शामिल केंद्रीय तंत्रिका तंत्र में पहुंचा देता है।
चिंता और अवसाद के बीच अंतर
– चिंता और अवसाद के बीच एक महत्वपूर्ण अंतर यह है कि अवसाद अकेले व्यक्ति को होनेवाली बीमारी है और चिंता से पूरा समूह ग्रस्त हो सकता है।
– अवसाद वास्तव में एक बीमारी है। इसके कई अलग-अलग लक्षण हैं। यह हरेक व्यक्ति को अलग महसूस हो सकता है। अवसाद शब्द अलग-अलग व्यक्तियों के लिए कहा जाता है।
– चिंता के कुछ अलग अर्थ हैं। हम सभी कभी-कभी खुद को चिंतित महसूस करते हैं और ‘चिंता’ का इस्तेमाल केवल उस भावना का वर्णन करने के लिए किया जा सकता है। लेकिन जब हम चिंता का उपयोग मेडिकल अर्थ में करते हैं तो यह वास्तव में चिंता वाले एक समूह का वर्णन करता है।
– चिंता में कुछ कम समान तरह की स्थितियां होती हैं। इनमें भय (फोबिया) और घबराहट (पैनिक) डिसऑर्डर शामिल हैं।
– चिंता का सबसे आम और समान तरह का विकार (जीएडी) है, जो इंग्लैंड में हर 100 लोगों में चार से पांच लोगों में है।