उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के साम्प्रदायिक दंगों में मारे गए युवक राहुल सोलंकी की हत्या के आरोपी एक आम आदमी पार्टी के कथित कार्यकर्ता को अदालत ने जमानत देने से इंकार कर दिया।
अदालत ने कहा कि इन दंगों में कई सारे युवाओं की बड़ी बेरहमी से हत्या की गई है। इसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। लिहाजा आरोपी की जमानत याचिका को खारिज किया जाता है।
कड़़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विनोद कुमार यादव की अदालत ने इस मामले में आरोपी की जमानत याचिका नामंजूर करते हुए कहा कि जहां शिव विहार तिराहे पर यह घटना हुई, वहां बहुत सारे युवाओं को मौत के घाट उतार दिया गया।
दंगाई यहां सबसे ज्यादा उग्र रुप में थे। यहां तक की राजधानी पब्लिक स्कूल की छत का इस्तेमाल कर दंगाइयों ने दूसरे समुदाय के लोगों पर पेट्रोल बम, तेजाब की बोतल, गुलेल से पत्थर आदि फेंके। इससे बड़ी संख्या में लोग जख्मी भी हुए। अदालत ने कहा कि आरोप पत्र देखने से पता चलता है कि दंगाइयों में कानून का कोई भय नहीं था। कानून को लेकर उनका लापरवाहपूर्ण रवैया समाज के हित में नहीं है। इसी को ध्यान में रखते हुए आरोपी को राहत देने से इंकार किया जा रहा है।
वहीं आरोपी की तरफ से अदालत के समक्ष जमानत याचिका दाखिल करते हुए कहा गया कि आरोपी दयालपुर क्षेत्र से आम आदमी पार्टी(आप) के टिकट पर नगर निगम का चुनाव लड़ चुका है। उसे राजनैतिक दुश्मनी के चलते जबरन आरोपी बनाया गया है। जबकि उसके खिलाफ पुलिस के पास पुख्ता साक्ष्य भी नहीं है। परन्तु अदालत ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज में उसे साफ देखा जा सकता है। एक पुलिसकर्मी ने भी उसकी पहचान दंगाई के तौर पर की है। अदालत इन साक्ष्यों के मद्देनजर के अपनी आंखे बंद नहीं कर सकती।
दिल्ली दंगा मामला: पिजड़ा तोड़ की सदस्य नताशा नरवाला को मिली जमानत पर नहीं मिलेगी रिहाई
दिल्ली दंगों में आरोपी पिजंड़ा तोड़ समूह की सदस्य नताशा नरवाल को अदालत ने जमानत दे दी है। लेकिन अभी उसकी जेल से रिहाई नहीं होगी। फिलहाल वह जेल में ही रहेगी। दरअसल उसे जाफराबाद थाने में दर्ज मामले में जमानत मिली है। एक अन्य मामले जोकि दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा दर्ज किया गया है उसमें उसे जमानत नहीं मिली है इसलिए उसे फिलहाल जेल में ही रहना होगा।
कड़कड़डूमा अदालत ने नरवाल को 30 हजार रुपये के निजी मुचलके एवं इतने ही रुपये मूल्य के एक जमानती के आधार पर जमानत दी है। अदालत ने कहा है कि नताशा नरवाल को उसके खिलाफ 26 फरवरी को दंगों से संंबंधित मामले में जाफराबाद थाने में दर्ज प्राथमिकी के मामले में जमानत दी गई है। अदलत ने यह भी कहा कि इसी मामले में उसकी सह-आरोपी देवांगना कलीता को दिल्ली उच्च न्यायालय ने 26 अगस्त को ही जमानत दे दी थी। लिहाजा वर्तमान तथ्यों व हालातों को ध्यान में रखते हुए आरोपी नरवाल को जमानत दी जा रही है।
अदालत ने जमानत के साथ ही नरवाल पर शर्त लगाई है कि वह गवाहों से संपर्क ना करे और ना ही उन्हें प्रभावित करने की कोशिश करे। इसके अलावा आरोपी नरवाल को कहा गया है कि इस मामले के निपटारे तक वह दिल्ली छोड़कर ना जाए। हर तारीख पर अदालत में पेश हो। असल में दिल्ली पुलिस ने आरोप लगाया है कि नताशा नरवाल नागरिकता संशोधन कानून(सीएए) के विरोध में उत्तर-पूर्वी दिल्ली के जाफराबाद में चल रहे धरना-प्रदर्शन में शामिल हुई थी। वहीं, नताशा व अन्य के खिलाफ दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने दंगों की साजिश का अलग से मुकदमा दर्ज किया हुआ है। इस मामले में दिल्ली पुलिस ने बुधवार को ही अदालत में आरोपपत्र दाखिल किया है। इस आरोपपत्र पर 21 सितंबर को अदालत में सुनवाई होगी।
दिल्ली दंगा: पीड़ित के ना मिलने पर अदालत ने आरोपी को दी जमानत
उत्तर-पूर्वी दिल्ली में भड़के दंगों में दंगाइयों का शिकार बने एक युवक को पुलिस नहीं तलाश पाई। अदालत ने इसी आधार पर इस मामले के आरोपी को जमानत पर रिहा करने के आदेश दिए हैं। अदालत ने अपने फैसले में कहा है कि पुलिस के अनुसार पीड़ित ने घटना के समय जो अपना पता बताया था वह गलत था। पीड़ित को कई प्रयासों के बावजूद तलाशा नहीं जा सका। लिहाजा अदालत मानती है कि इस आरोपी को जमानत पर रिहा कर दिया जाए।
कड़कड़डूमा स्थित अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश अमिताभ रावत की अदालत आरोपी को 15 हजार रुपये के निजी मुचलके एवं इतने ही रुपये मूल्य के एक जमानती के आधार पर सशर्त जमानत दी है। आरोपी को बगैर इजाजत दिल्ली ना छोड़ने की हिदायत दी गई है। दरअसल इस मामले में पुलिस का कहना था कि 28 वर्षीय राहुल नामक युवक कबीर नगर इलाके मेंं दंगाइयों का शिकार बना। राहुल गंभीर रूप से जख्मी हुआ। यह घटना 25 फरवरी की थी। इस मामले में राहुल के बयान दर्ज नहीं किए गए। क्योंकि उस समय दंगों चल रहे थे। उसे अस्पताल पहुंचा, उसका नाम व पता लिख लिया गया। लेकिन दंगे समाप्त होने के बाद जब राहुल की तलाश की गई तों पता चला कि उसने घर का पता गलत लिखवाया है।
हालांकि घटना के एक महीने बाद एक कांस्टेबल ने आरोपी की पहचान दंगाई के तौर पर की। इसके बाद आरोपी के खिलाफ हत्या प्रयास व दंगों से संबंधित धाराओं में मुकदमा दर्ज किया गया। परन्तु अदालत ने अब माना है कि आरोपी के खिलाफ मुख्य गवाह नहीं है। साथ ही अदालत ने कहा कि आरोपी के पास से किसी तरह की बरामदगी भी नहीं हुई है। इन परिस्थितियों में आरोपी को जमानत पर रिहा करने में कोई परेशानी की बात नहीं है। अदालत ने माना कि आरोपी के खिलाफ पुलिस पहले ही आरोपपत्र दाखिल कर चुकी है।