जाटलैंड कहे जाने वाले अलीगढ़ के इगलास क्षेत्र की जमीं पर गुरूवार को रालोद मुखिया जयंत चौधरी अपने दादा चौधरी चरण सिंह की खोई विरासत पाने की जुगत में दिखाई दिए। रालोद मुखिया ने अपने 20 मिनट के भाषण में 30 से ज्यादा बार किसानों के मसीहा यानि अपने दादा का नाम लिया। उनकी रीति-नीति, शासन को बार-बार याद दिलाया।
इगलास जिसे मिनी छपरौली भी कहा जाता है। यह विधानसभा रालोद के लिए काफी अहम भी है। इस सीट से चौधरी चरण सिंह की पत्नी गायत्री देवी व बेटी डा. ज्ञानवती भी विधानसभा चुनाव में जीत दर्ज करा चुकी हैं। पश्चिमी यूपी में रालोद बाहुल्य वाली सीटों में इगलास सीट शामिल रही है।
2017 के चुनाव में इस सीट से रालोद का पत्ता साफ हो गया था। ऐसे में गुरूवार को इगलास में सपा-रालोद की संयुक्त परिवर्तन रैली में रालोद मुखिया जयंती चौधरी अपने दादा व पिता के नाम पर, उनकी नीतियों को याद कराते हुए जनता को संबोधित करते हुए नजर आए। उन्होंने अपने संबोधन की शुरूआत करते हुए कहा कि आज 23 दिसंबर किसान दिवस है। यह तो आपका ही दिन है।
पहली बार ऐसा हो रहा है कि आज चौधरी चरणसिंह की कर्मभूमि, इगलास जिसे मिनी छपरौली का नाम आप देते थे, पहली बार ऐसा आयोजन हो रहा है, जब चौधरी अजित सिंह नहीं है। उनके साथ चलने वाले लोगों के लिए यह भावुक पल होंगे, मेरे लिए भी हैं। इतना ही नहीं रालोद मुखिया सपा-रालोद गठबंधन को भी चैाधरी चरण सिंह का पुराना समीकरण लौटाने को जोड़कर कहा।
चौधरी चरण का दिमाग था अर्थशास्त्री व किसान का था दिल
रालोद मुखिया ने कहा कि चौधरी चरण सिंह जी की बहुत बड़ी ताकत थी, दिमाग उनका अर्थशास्त्री का था, दिल उनका किसान का था। वह गांव की भाषा बोल व समझ लेते थे। अंग्रेजी में किताब लिख लिया करते थे। कई बार वह भाषण में आंकड़े दिया करते थे, हो सकता है उनके भाषण सुनने वाले बहुत से लोगों को वह आंकड़े नहीं समझने आते हो, लेकिन चौधरी साहब अपना फर्ज मानते थे। वह कहते थे कि गांव में गरीब के घर में पैदा हुए व्यक्ति को देश की मुख्यधारा में पहुंचाना है तो देश के मुद्दे गांव तक पहुंचाने होंगे।
जब चौधरी ने कुर्सी को लात मारते हुए दे दिया था त्यागपत्र
रालोद मुखिया ने सीएम योगी पर निशाना साधते हुए कहा कि चौधरी चरण सिंह जी का राज आपको याद होगा। वह 1960 में गृहमंत्री थे, तब सीबी गुप्ता की सरकार थी। किस तरह से शासन में रहते हुए पुलिस की वर्दी पहनने वालों का वेतन बढ़ाया था। तब नेताओं के विरूद्ध दर्ज मुकदमों को वापिस लेने को कहा गया तो चौधरी साहब ने इंकार कर दिया। आज की बात करें तो योगी बाबा जैसे ही सीएम बने तो अपने व अपने नेताओं के खिलाफ संगीन धाराओं में दर्ज मुकदमे वापिस करवा दिए। जबकि चौधरी साहब से 1962 में त्यागपत्र मांगा गया तो तो उन्होंने अपने उसूलों के लिए कुर्सी को लात मार दी।
भारत रत्न दिलाने को हाथ उठाकर मांगा समर्थन, भाजपा पर बोला हमला
जयंत चौधरी ने चौधरी चरण सिहं को भारत रत्न दिए जाने के लिए लोगों से हाथ उठाकर समर्थन मांगा। कहा कि वैसे तो देश का हर किसान उन्हें अनमोल रत्न मानता है। मैं भी उस परिवार से आता हूं। भाजपा पर निशाना साधते हुए कहा कि इन लोगों ने तो चौधरी साहब को सम्मान नहीं दिया, इन लोगों ने सत्ता हासिल करने को किसानों से झूठे वायदे किए। चौधरी चरण सिंह सम्मान योजना बनाने का ऐलान गृहमंत्री अमित शाह ने किया था। जयंत ने तंज कसने के अंदाज में कहा कि गृहमंत्री जी दूरबीन लगाकर देखिए, चौधरी चरण सिंह के नाम पर एक योजना बनाई हो तो बताइए।
चौधरी चरण सिंह का नाम लेना आसान, राह पर चलना मुश्किल
जयंत चौधरी ने कहा कि चौ. चरण सिंह का नाम लेना आसान है लेकिन उनके दिखाए रास्ते पर चलना मुश्किल है और इन भाजपाईयों के लिए तो बहुत ही मुश्किल। वह नहीं चल सकते।
आप सभी बनें चौधरी चरण सिंह की आवाज
किसान आंदोलन के आगे सरकार को झुकने के मुद्दे पर पीएम योगी पर हमला बोलते हुए रालोद मुखिया ने कहा कि चौधरी चरण सिंह की आवाज बनकर पहली बार भाजपा की सरकार को एहसास दिलाया कि किसानों से अगर लोहा लोगे तो हार जाओगे। तंज कसते हुए कहा कि मोदीजी ने तो कभी अपने घर में माफी नहीं मांगी होगी, नोटबंदी के बाद भी माफी नहीं मांगी। आज माफी मंगवाई है तो किसानों ने, यह मेहनत आपकी है।