राज्यसभा के 12 सांसदों के निलंबन का मुद्दा गरमाता जा रहा है। इस मामले की जानकारी रखने वाले एक पदाधिकारी ने हमारे सहयोगी संस्थान हिन्दुस्तान टाइम्स को बताया कि चुनिंदा विपक्षी नेताओं की बैठकके दौरान तूफानी बहस हुई। इसके दो दिन बाद राज्यसभा के सभापति वेंकैया नायडू ने शुक्रवार को एक वरिष्ठ विपक्षी नेता को 12 सांसदों के निलंबन पर गतिरोध को समाप्त करने के लिए पहल करने को कहा है।
वैंकैया नायडू ने आज सुबह कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता को फोन करके इस बात पर चर्चा की कि गतिरोध कैसे समाप्त किया जाए। टेलीफोन पर हुई बातचीत कुछ मिनटों तक चली। शीतकालीन सत्र के अब सिर्फ छह दिन शेष बचे हैं। सदन में शांति बहाल करने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है।
पदाधिकारी ने बताया कि विपक्ष के नेता ने समाधान निकालने के लिए नायडू की अध्यक्षता में सर्वदलीय बैठक बुलाने का सुझाव दिया है।
आपको बता दें कि केंद्र सरकार की तरफ से निलंबित सांसदों से माफी मांगने पर जोर दिया गया है। वहीं, विपक्ष ने कानूनी और तकनीकी आधार पर निलंबन के फैसले को चुनौती देते हुए किसी भी तरह की माफी से इनकार कर दिया है। इससे पहले बुधवार को भी पहल की गई थी। हालांकि चार विपक्षी नेताओं के साथ नायडू की बैठक अचानक समाप्त हो गई। इस दौरान तीखी बहस हुई थी।
उस बैठक में विपक्षी नेताओं (मल्लिकार्जुन खड़गे, कांग्रेस के उपनेता आनंद शर्मा, पार्टी के मुख्य सचेतक जयराम रमेश, शिवसेना के संजय राउत और राष्ट्रीय जनता दल के नेता मनोज कुमार झा) ने वेंकैया नायडू को बताया कि कैसे इससे पहले भैरों सिंह शेखावत और हामिद अंसारी सरीखे उपराष्ट्रपति (सभापति) सर्वदलीय बैठकें बुलाकर गतिरोध समाप्त करने का सामूहिक आह्वान किया करते थे।
विपक्षी नेताओं ने नायडू से अपने पूर्ववर्तियों से प्रेरणा लेने की अपील की। वहीं, सभापति ने भी उन्हें याद दिलाया कि “निलंबित सांसदों से अभी तक किसी भी खेद का कोई संकेत नहीं मिला है”।
नायडू की बैठक में मौजूद एक अधिकारी ने नाम नहीं छापनने की शर्त पर कहा, “सभापति ने उपयुक्त समय पर सर्वदलीय बैठक बुलाने की बात कही। निलंबित सांसद या उनके संबंधित दलों के नेता अपने आचरण पर खेद व्यक्त करने के लिए तैयार नहीं हैं। ऐसे में उस बैठक का भी कोई फायदा नहीं होगा।”