उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने सूबे में हिंसा और दंगाइयों पर लगाम कसने के लिए बड़े फैसले लिए थे। सीएम योगी ने दंगों और हिंसा के दौरान हुए नुकसान की भरपाई दंगाइयों की संपत्ति से करने का कानून बनाया था। अब मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार भी उसी राह पर चल रही है। मध्य प्रदेश में भी अब आंदोलन, बंद, धरना, प्रदर्शन या दंगों के दौरान किसी सरकारी या निजी संपत्ति को नुकसान पहुंचता है तो उसकी वसूली की जाएगी। इसके लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया जाएगा जो नुकसान की वसूली के आदेश पारित करेगा। गुरुवार को शिवराज कैबिनेट ने इस बारे में फैसला किया। इसी के साथ नुकसान वसूली का फैसला लेने वाला मध्य प्रदेश, यूपी और हरियाणा के बाद तीसरा राज्य बन गया है।
शिवराज सरकार के प्रवक्ता और गृह मंत्री डॉ. नरोत्तम मिश्रा ने इस बारे में गुरुवार को मीडिया को इस बारे में जानकारी दी। कुछ पॉइंट्स में समझिए शिवराज सरकार के विधेयक के बारे में सबकुछ:
मध्य प्रदेश लोक एवं निजी संपत्ति को नुकसान एवं नुकसान वसूली विधेयक 2021 को शिवराज कैबिनेट की मंजूरी।
सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों से निपटने के लिए शिवराज सरकार लाई है यह विधेयक।
शीतकालीन सत्र में विधेयक को विधानसभा के पटल पर रखा जाएगा।
यूपी की तर्ज पर ही नुकसान की भरपाई के आकलन के दावों को निपटाने के लिए ट्रिब्यूनल का गठन किया गया जाएगा।
इनमें केंद्र सरकार, राज्य सरकार, स्थानीय निकाय के साथ ही सहकारी संस्थाओं, कंपनियों की संपत्तियों को पहुंचने वाला नुकसान शामिल है।
ट्रिब्यूनल के आदेश को हाईकोर्ट में ही चैलेंज किया जा सकेगा।
90 दिन के भीतर ही हाईकोर्ट में की जा सकेगी अपील।
ट्रिब्यूनल को नुकसान से दो गुना राशि तक का आदेश पारित करने का अधिकार दिया गया।
आदेश पारित होने के 15 दिन में नुकसान का भुगतान नहीं हुआ तो आवेदनकर्ता को हर्जाना राशि पर ब्याज और क्लेम्स ट्रिब्यूनल में हुए खर्च की वसूली के अधिकार होंगे।
15 दिन तक नुकसान की तय राशि जमा न करने पर जिला कलेक्टर को वसूली के लिए आरोपी की चल-अचल संपत्ति की कुर्की और नीलामी का अधिकार होगा।
क्लेम्स ट्रिब्यूनल को कोड ऑफ सिविल प्रोसीजर 1908 के तहत सिविल कोर्ट के अधिकार और शक्तियां प्रदान की जाएंगी।
सबसे पहले योगी सरकार लाई थी विधेयक
सबसे पहले यूपी की योगी सरकार ‘उत्तर प्रदेश रिकवरी ऑफ डैमेजेज टु पब्लिक ऐंड प्राइवेट प्रॉपर्टी अध्यादेश-2020’ लेकर आई थी। उत्तर प्रदेश में जुलूस, प्रदर्शन, बंदी, हड़ताल के दौरान सरकारी और निजी संपत्तियों को नुकसान पहुंचाने वालों के खिलाफ वसूली का आदेश होते ही उनकी संपत्तियां कुर्क किए जाने का प्रावधान था। हालांकि एमपी की तरह उत्तर प्रदेश में ट्रिब्यूनल के आदेश को कहीं भी चैंलेंज नहीं किया जा सकता था। यूपी के इस कानून में कुछ प्रावधान ऐसे थे:
3 माह में क्लेम ट्राइब्यूनल के समक्ष अपना दावा पेश करना होगा। उपयुक्त वजह होने पर दावे में हुई देरी को लेकर 30 दिन का अतिरिक्त समय दिया जा सकेगा।
दावा पेश करने के लिए 25 रुपये की कोर्ट फीस के साथ आवेदन करना होगा।
अन्य आवेदन के लिए 50 रुपये कोर्ट फीस, 100 रुपये प्रॉसेस फीस देनी होगी।
आरोपियों को क्लेम आवेदन की प्रति नोटिस के साथ भेजी जाएगी।
आरोपियों के न आने पर ट्राइब्यूनल को एकपक्षीय फैसले का अधिकार होगा।
ट्राइब्यूनल संपत्ति को हुई क्षति के दोगुने से अधिक मुआवजा वसूलने का आदेश नहीं कर सकेगा, मुआवजा संपत्ति के बाजार मूल्य से कम भी नहीं होगा।
CM योगी के कदमों पर चली थी खट्टर सरकार
हरियाणा में एक के बाद एक हो रहे आंदोलनों में उपद्रवियों की संपत्ति को नुकसान पहुंचाने की मंशा भांपते हुए हरियाणा सरकार ‘संपत्ति क्षति वसूली विधेयक-2021’ लेकर आई थी। इसमें उपद्रवियों से भारी-भरकम जुर्माने की वसूली से लेकर जेल की सजा का प्रावधान है। हालांकि संपत्ति क्षति वसूली ट्रिब्यूनल को लेकर हरियाणा सरकार के विधेयक में साफ था कि ट्रिब्यूनल न तो स्थायी होगा और न ही पूरे प्रदेश के लिए। यह केवल उन जिलों में काम करेगा जहां पर हिंसा से निजी या सरकारी संपत्ति का नुकसान हुआ है। इस विधेयक में क्या-क्या विशेष था, समझिए:
ट्रिब्यूनल द्वारा संपत्ति को हुए नुकसान के बाबत मुआवजे के लिए आवेदन मांगे जाने पर 21 दिन के भीतर आवेदन करना होगा।
ट्रिब्यूनल दस करोड़ रुपये तक के मुआवजे का निर्धारण करने का अधिकार दिया गया है।
जुर्माना न देने पर ब्याज समेत धनराशि वसूली के लिए खाते सील करने से लेकर संपत्ति कुर्क करने का प्रवधान है।
आंदोलन के दौरान कानून व्यवस्था बिगड़ने पर अगर सुरक्षाबलों को बुलाया जाता है तो उसका खर्च भी आंदोलनकारियों से वसूलने का प्रावधान है।
आंदोलन में किसी भी तरह की चल-अचल संपत्ति, वाहन, पशु, आभूषण सहित तमाम ऐसी संपत्ति, जिसकी कीमत एक हजार रुपये से अधिक है तो उसकी भरपाई के लिए दावा किया जा सकेगा।
अगर नुकसान हुई संपत्ति का बीमा है तो कंपनी से मिलने वाली राशि मुआवजे की राशि में समायोजित कर उतनी राशि बीमा कंपनी को वापस देने का प्रावधान भी इस विधेयक में था।
UP के मुकाबले थोड़ा ‘कमजोर’ दिख रहा MP का विधेयक
मध्य प्रदेश की शिवराज सरकार जिस विधेयक को लेकर आई है, वह योगी सरकार के कानून से थोड़ा हल्का दिख रहा है। दरअसल योगी सरकार ने अपने विधेयक में साफ कहा था कि ट्रिब्यूनल के आदेश को किसी भी कोर्ट में चुनौती नहीं दी जा सकेगी, जबकि मध्य प्रदेश सरकार ने ट्रिब्यूनल के आदेश को हाईकोर्ट में चैलेंज करने का अधिकार दिया है।