बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और हम के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतन राम मांझी ने शराबबंदी कानून पर सवाल खड़े किए हैं। साथ ही सरकार से इसे पीने की एक लिमिट तय करने की अपील की है। उन्होंने कहा कि शराबबंदी के पक्षधर हम भी हैं। शराब नहीं पीनी चाहिये क्योंकि बिना शराब के भी अच्छा आदमी बना जा सकता है। लेकिन शराबबंदी कानून के नाम पर गरीबों का शोषण गलत है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को शराबबंदी कानून में संशोधन करना चाहिये। इसमें कुछ लिमिट तय करनी चाहिये।
मांझी ने कहा कि थारू, आदिवासी, मुसहर, भूइयां आदि समाज में भगवान को शराब चढ़ाने की परंपरा है। बली के पहले शराब दी जाती है। तो क्या कानून के नाम पर पूजा व परंपरा को छोड़ दें? ये बातें पूर्व मुख्यमंत्री सह हिन्दुस्तानी आवामी मोर्चा (सेक्युलर) के राष्ट्रीय अध्यक्ष जीतनराम मांझी ने बुधवार को हरनाटांड़ स्थित उच्च विद्यालय के प्रागंण में थारूओं की ओर से आयोजित सम्मान समारोह में कहीं।
मांझी ने कहा कि आज जेल में शराब मामले में जितने लोग बंद हैं उनमें से 80 फीसदी आधी बोतल वाले हैं। बड़े लोग शराब पीकर घर में रहते हैं और छोटे लोग पीकर सड़क पर। उन्होंने कहा कि थारू जनजाति व आदिवासी ही भारत के मूल निवासी हैं। उनपर बाहर के लोग शासन करते हैं। दस का शासन 90 पर नहीं चलेगा। इसके लिए एकजुट होने की जरूरत है।
पूर्व सीएम ने कहा कि जिस पार्टी के घोषणापत्र में कॉमन स्कूलिंग सिस्टम लागू करने की बात हो उसी को अपना मत दें। बाबा साहब अंबेडकर ने कहा था कि राष्ट्रपति का बेटा हो या भंगी की संतान, सबको शिक्षा एक समान। उन्होंने वनाधिकार कानून को सही ढंग से लागू करने की बात भी कही।