दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को राजधानी में खराब वायु गुणवत्ता के मद्देनजर सरकार से मुआवजे और चिकित्सा बीमा की मांग वाली याचिका पर जल्द सुनवाई से इनकार कर दिया। जस्टिस रेखा पल्ली की बेंच ने मंगलवार को मामले में जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया और कहा कि सुप्रीम कोर्ट पहले से ही इसी तरह के मामले की जांच कर रही है।
याचिकाकर्ता एक वकील शिवम पांडे ने कहा कि प्रदूषण कई बीमारियों की जड़ है और मानव स्वास्थ्य को गंभीर रूप से प्रभावित करता है। प्रदूषण, विशेष रूप से वायु प्रदूषण, मानव स्वास्थ्य पर बहुत प्रतिकूल प्रभाव डालता है। कुछ समस्याओं में पुराना सिरदर्द, आंखों में जलन, त्वचा में जलन, सांस संबंधी बीमारी और फेफड़ों की गंभीर बीमारी का कारण भी बन सकता है और कैंसर सहित विभिन्न खतरनाक बीमारियों का कारण और जड़ हो सकता है।
याचिकाकर्ता ने सुभाष कुमार बनाम बिहार राज्य में सुप्रीम कोर्ट के आदेश का भी हवाला दिया जिसने भारती संविधान के अनुच्छेद 21 के दायरे का विस्तार किया और कहा कि “स्वच्छ प्रदूषण मुक्त पर्यावरण का अधिकार” भारतीय संविधान के अनुच्छेद 21 के तहत एक मौलिक अधिकार है।
याचिकाकर्ता ने याचिकाकर्ता को विशिष्ट और अनुकरणीय क्षति के परिणामस्वरूप प्रतिवादियों को पंद्रह लाख (15 लाख) रुपये का मुआवजा देने का निर्देश देने का आग्रह किया।
इसके साथ ही याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों को याचिकाकर्ता को 25 लाख रुपये का चिकित्सा बीमा देने का भी निर्देश देने की मांग की है। इसके अलावा याचिकाकर्ता ने प्रतिवादियों को दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में पटाखों की दुकानों की फैक्ट्रियों को तुरंत सील करने का निर्देश देने की भी मांग की है।