सुपरटेक एमराल्ड कोर्ट मामले में अब नोएडा प्राधिकरण के बाद दूसरे विभागों के अधिकारियों पर भी कार्रवाई की तलवार लटक गई है। इस मामले में अब अग्निशमन विभाग के अधिकारियों पर कार्रवाई के लिए प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव अवनीश अवस्थी ने फायर सर्विस के डीजी को 10 जुलाई 2004 से 31 जुलाई 2015 तक मेरठ और गौतमबुद्धनगर के मुख्य अग्निशमन अधिकारी के पद पर रहे छह अधिकारियों के खिलाफ कार्रवाई करने और उसकी रिपोर्ट शासन को भेजने के लिए कहा गया है।
अपर मुख्य सचिव के पत्र में कहा गया है कि इस बिल्डिंग में अग्निशमन विभाग के अधिकारियों की भी अनियमितता मिली है। उनके द्वारा इस बिल्डिंग को एनओसी जारी कराने में अनियमितता बरती गई हैं। अपर मुख्य सचिव के निर्देश के बाद इस मामले में डीजी मुख्यालय ने जांच शुरू कर दी है। 12 साल की अवधि के दौरान वहां पर तैनात रहे मुख्य अग्निशमन अधिकारियों की भूमिका की जांच कर रिपोर्ट तैयार की जा रही है। इस मामले में जांच प्रारम्भ होने के बाद विभाग के वरिष्ठ अधिकारी कोई भी टिप्पणी करने के लिए तैयार नहीं हैं और उनका कहना है कि इस प्रकरण में डीजी मुख्यालय से जांच चल रही है और वहीं से रिपोर्ट तैयार कर शासन को भेजी जानी है।
विजिलेंस में मुकदमा दर्ज
सुप्रीम कोर्ट का फैसला आने के बाद मुख्यमंत्री ने इस मामले की जांच एसआईटी से कराने का आदेश दिया था। इस टीम का अध्यक्ष अवस्थापना एवं औद्योगिक विकास आयुक्त व नोएडा-ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के चेयरमैन संजीव मित्तल को बनाया गया। अवैध टावर बनने की जांच में 26 अधिकारी व सुपरटेक कंपनी के 4 निदेशक जिम्मेदार पाए गए। प्राधिकरण के नियोजन विभाग की ओर से विजिलेंस लखनऊ में मुकदमा दर्ज कराया जा चुका है। तीन अधिकारी-कर्मचारियों को निलंबित भी कर दिया।
एनओसी को लेकर लगते रहे आरोप
गौतमबुद्धनगर जिले में बड़े-बड़े बिल्डरों और औद्योगिक इकाइयों को अग्निशमन विभाग की ओर से जारी हुई एनओसी को लेकर लगातार आरोप लग रहे हैं। जिले के पूर्व एसएसपी वैभव कृष्ण ने अपनी जांच में यहां पर चार सौ से अधिक एनओसी को संदिग्ध माना था और 12 सौ से अधिक एनओसी की जांच के आदेश दिए थे, लेकिन यह जांच उनके स्थानांतरण के बाद आज तक भी पूरी नहीं हो सकी है। इस दौरान अधिकारियों के फर्जी हस्ताक्षर कर एनओसी जारी करने के मामले भी सामने आ चुके हैं और इनको लेकर मुकदमे भी दर्ज हो चुके हैं।