नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो के अफसर समीर वानखेड़े के मालिकाना हक वाले बार को आबकारी विभाग ने नोटिस भेजा है। विभाग की ठाणे यूनिट की तरफ से बार को नोटिस भेजा गया है। बताया जा रहा है कि साल 1997 में इस बार का लाइसेंस समीर वानखेड़े को मिला था और यह नोटिस इसी लाइसेंस से जुड़ा हुआ है। हाल ही में महाराष्ट्र के मंत्री और एनसीपी नेता नवाब मलिक ने आरोप लगाया था कि समीर वानखेड़े ने गड़बड़ी कर इस बार का लाइसेंस हासिल किया था।
आबकारी विभाग के ठाणे यूनिट के अफसर निलेश सांगड़े ने नोटिस भेजे जाने की पुष्टि की है। यह नोटिस 10 दिसंबर को भेजा गया है। नवाब मलिक ने आरोप लगाया था कि जब वानखेड़े 17 साल के थे तब ही उन्हें नवी मुंबई स्थित बार-होटल सदगुरु का लाइसेंस मिल गया था।
विभाग के अधिकारी ने बताया ‘यह मामला उस वक्त उजागर हुआ जब वानखेड़े यह बता पाने में नाकाम रहे कि लाइसेंस पाने के लिए अप्लाई करते वक्त उनकी उम्र कितनी थी? हमने उनसे कहा है कि वो 17 दिसंबर से पहले नोटिस का लिखित तौर पर जवाब दें। इस मामले में ठाणे कलेक्टर के पास सुनवाई के दौरान जो कुछ भी सामने आएगा उसी के मुताबिक आगे की कार्रवाई की जाएगी।’
उन्होंने बताया कि इस बात जब वानखेड़े ने अपनी उम्र को लेकर कोई प्रूफ दिया ही नहीं था तब उन्हें लाइसेंस कैसे मिल गया? इस मामले की जांच भी विभाग में अंदरुनी तौर पर चल रही है। हालांकि, एनसीबी अफसर के पिता ध्यानदेव वानखेड़े कहते आए हैं कि बार लाइसेंस हासिल करने की उम्र सीमा 18 है और इसी आधार पर एप्लिकेशन डाला गया था।
उनका कहना है कि समीर उस वक्त 17 साल 10 महीने के थे और लाइसेंस कमेटी ने अपनी विवेचना के बाद दी थी। हमने यह अंदाजा लगाया था कि लाइसेंस मिलने में कुछ महीने लगेंगे और उस वक्त तक समीर वानखेड़े 18 साल के हो जाएंगे। अगर कमेटी ने तुरंत लाइसेंस दे दिया तो इसमें हमारी गलती कैसे हो गई? हालांकि आबकारी विभाग के अधिकारियों का कहना है कि लाइसेंस देने की उम्र हमेशा से ही 21 साल रही है।
ध्यानदेव वानखेड़े ने कहा, ‘अगर विभाग मेरा लाइसेंस रद्द करना चाहता है, तब उन्हें वो लाखों पैसे वापस करना चाहिए जो मैंने पिछले कई सालों में शुल्क के तौर पर भुगतान किया है। मैं इसके लिए कोर्ट जाने को तैयार हूं।’