शोले फिल्म की तरह अपनी मांग पूरी कराने के लिए रायसेन जिले का एक परिवार शनिवार की देर शाम से भोपाल की एक पानी की टंकी पर चढ़ गया है और 23 घंटे बाद नीचे उतर गया है। उतरने के बाद परिवार के मुखिया नरेंद्र गिरि ने कहा कि अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त राजेश सिंह भदौरिया के आश्वासन पर हमें उतरे हैं। हालांकि यह परिवार अपनी मांग को लेकर पहले भी तीन बार अलग-अलग जगह की पानी की टंकियों पर चढ़कर अपनी बात मनवाने की जिद्द कर चुका है।
रायसेन जिले के भोजपुर के पास रहने वाला नरेंद्र गिरि अपने परिवार के पांच सदस्यों के साथ शनिवार की देर शाम को भोपाल के कस्तूरबा नगर की पानी की टंकी पर चढ़ गया था। इसके बाद से पुलिस और प्रशासन के अधिकारी कस्तूरबा नगर की पानी की टंकी के नीचे खड़े होकर उसे नीचे उतरने की विनती कर रहे हैं। उसे नीचे उतारने के लिए नगर निगम की फायर ब्रिगेड और पुलिसकर्मियों ने प्रयास किए मगर वह किसी भी तरह की ऐसी कोशिश को नाकाम करने के लिए अब तक नीचे कूदने की धमकी देता रहा है। रविवार की शाम को यह परिवार पुलिस अधिकारियों के आश्वासन पर नीचे उतरा और उनकी शिकायत पर शनिवार को उनके साथ हुई घटना में एफआईआर दर्ज कर संबंधित पुलिस थाना स्थानांतरित किया जाएगा।
खाने-पीने की पूरी व्यवस्था के साथ गिरि
शनिवार की देर शाम से पानी की टंकी पर जमे गिरि परिवार के पास खाने-पीने की अभी तक पूरी व्यवस्था दिखाई दे रही है। सर्दी से बचने के लिए भी गरम कपड़े हैं। पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों की मानें तो गिरि और उसके परिवार की ओर से पानी की टंकी पर अब तक खाने-पीने की कमी नहीं बताई गई है। परिवारजन खा-पी रहे हैं लेकिन नीचे उतरने के लिए पहले जमीन विवाद को खत्म करने के आदेश पर अड़े हैं। बताया जाता है कि रितेश गिरि का परिवार इस मांग को लेकर काफी समय से शिकायतें कर रहा है और रेहटी में भी दो बार पानी की टंकी पर चढ़ चुुका है। हर बार उसे मान मनोव्वल कर उतारा जाता रहा है।
यह है मामला
भोपाल के गोविंदपुरा एसडीएम मनोज वर्मा का कहना है कि नरेंद्र गिरी के पिता ने अपने बेटों के बीच जमीन-जायदाद के बंटवारे के लिए वसीयत की थी। इसमें करीब दो एकड़ जमीन उन्होंने नरेंद्र के बड़े भाई को दी थी जिसे उन्होंने धनंजय चौहान को बेच दी है। मगर इस जमीन पर नरेंद्र गिरि काबिज है और धनंजय चौहान अपना कब्जा चाह रहा है। इसको लेकर सीमांकन आदि की औपचारिक कार्रवाई हो चुकी है जिसमें जमीन धनंजय चौहान के कब्जे की बताया गया। मगर गिरि उसे अपनी ही बताने पर अड़ा है।