दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच ने राजस्थान के मुख्यमंत्री के ओएसडी लोकेश शर्मा से अवैध फोन टैपिंग के एक मामले में उनकी कथित संलिप्तता के संबंध में सोमवार को रोहिणी कार्यालय में लगभग चार घंटे तक पूछताछ की।
अधिकारियों ने इस बारे में जानकारी देते हुए बताया कि अवैध फोन टैपिंग का मामला केंद्रीय जल शक्ति मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने राजधानी दिल्ली में दर्ज कराया था। पुलिस के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि लोकेश शर्मा क्राइम ब्रांच यूनिट के रोहिणी ऑफिस में सोमवार को मामले की जांच में शामिल हुए। पूर्व में हमने उन्हें जांच में शामिल होने के लिए चार बार नोटिस भेजा था, इसके बावजूद उन्होंने जांच में हिस्सा नहीं लिया था।
उन्होंने कोई ब्योरा दिए बिना कहा कि शर्मा को चौथा नोटिस भेजे जाने के बाद वह जांच में शामिल हो गए और हमारी टीम ने उनसे करीब चार घंटे तक पूछताछ की। उनसे मामले से संबंधित कई सवाल पूछे गए।
तीसरे नोटिस की तरह, क्राइम ब्रांच ने दंड प्रक्रिया संहिता (सीआरपीसी) की धारा 41.1 (ए) के तहत मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के ओएसडी को चौथा नोटिस भेजा, जिसमें दोहराया गया कि जांच में शामिल नहीं होने या नोटिस की शर्तों का पालन करने में विफलता उन्हें सीआरपीसी की धारा 41 ए (3) और (4) के तहत गिरफ्तारी के लिए उत्तरदायी बना सकती है। पहले दो नोटिस सीआरपीसी की धारा 160 के तहत भेजे गए थे जो एक पुलिस अधिकारी को किसी भी मामले में गवाहों की उपस्थिति को लागू करने का अधिकार देता है।
पिछले महीने तीसरा नोटिस मिलने के बाद लोकेश शर्मा ने गिरफ्तारी की आशंका जताते हुए दिल्ली हाईकोर्ट का दरवाजा खटखटाया था और अपने खिलाफ दर्ज एफआईआर रद्द करने की उनकी याचिका पर जल्द सुनवाई का अनुरोध किया था। शर्मा की याचिका पर हाईकोर्ट ने उनके खिलाफ 13 जनवरी तक दंडात्मक कार्रवाई पर रोक लगा दी थी।
उनकी याचिका पर सुनवाई के दौरान 12 नवंबर को दिल्ली पुलिस ने हाईकोर्ट को यह भी आश्वासन दिया कि अगले आदेश तक मुख्यमंत्री के ओएसडी के खिलाफ कोई कठोर कदम नहीं उठाया जाएगा। हालांकि, शर्मा निजी कारणों का हवाला देते हुए पिछली तीन तारीखों में से किसी पर भी पुलिस के सामने पेश नहीं हुए।