बसपा सुप्रीमो मायावती ने अपने ढंग से वेस्ट यूपी में अखिलेश यादव-जयंत चौधरी गठजोड़ की काट खोज ली है। आज उन्होंने अतिपिछड़ा वर्ग, मुस्लिम समाज और जाट समुदाय के पार्टी के नेताओं की बड़ी बैठक लखनऊ में बुलाई है। इस बैठक में उन्होंने नेताओं को अपने-अपने समाज के लिए रिजर्व सीटों पर पार्टी का आधार मजबूत करने का जिम्मा सौंपा। इस मौके पर आयोजित एक प्रेस कांफ्रेंस में बसपा सुप्रीमो ने एक बार फिर यूपी की सभी 403 सीटों पर अकेले चुनाव लड़ने का ऐलान किया और भरोसा जताया कि प्रदेश में 2007 की तरह एक बार फिर पूर्ण बहुमत की बसपा सरकार बनेगी।
सुश्री मायावती ने बताया कि इसके पहले उन्होंने अतिपिछड़ा वर्ग, मुस्लिम समाज और जाट समुदाय के पार्टी पदाधिकारियों को सामान्य सीटों पर अपने समाज के लोगों को पार्टी से जोड़ने की जिम्मेदारी सौंपी थी जिसकी समीक्षा वह पिछले महीने कर चुकी हैं। उन्होंने कहा कि इन वर्गों के लोग बड़ी संख्या में बसपा से जुड़े हैं। उन्होंने कहा कि आज देश के दलितों, अति पिछड़ों और आदिवासियों को यदि आरक्षण का अधिकार प्राप्त है तो इसके पीछे बाबा साहब भीमराव आम्बेडकर का ही योगदान है। उन्होंने ही संविधान अनुच्छेद 340 के तहत इसका प्रावधान किया।
कांग्रेस और भाजपा पर हमलावर मायावती ने कहा कि यह दुख की बात है कि केंद्र में सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाली कांग्रेस ने मंडल कमीशन की सिफारिशों को ठंडे बस्ते में डाले रखा जिसे बाद में बीएसपी ने अथक प्रयास करके वीपी सिंह सरकार से लागू करवाया। उन्होंने आरोप लगाया कि वर्तमान सरकारें नए-नए नियम-कानून और कोर्ट-कचहरी के जरिए आरक्षण को प्रभावहीन बनाने के प्रयास में जुटी रहती हैं। इसके साथ ही दलितों-आदिवासियों के साथ जुल्म ज्यादती भी खत्म नहीं हुई है। बसपा ओबीसी समाज की जातीय जनगणना की मांग से पूरी तरह सहमत है जिसे केंद्र सरकार नज़रअंदाज करती आ रही है।
उन्होंने आरोप लगाया कि भाजपा सरकार की वजह से मुस्लिम समाज के लोग दु:खी हैं। उनकी तरक्की बंद है। फर्जी मुकदमों के जरिए उनका उत्पीड़न किया जा रहा है। उनके प्रति भाजपा का सौतेला रवैया साफ नज़र आता है। उन्होंने कहा कि बसपा की सरकार बनने पर ऐसे सभी वर्गों का ख्याल रखा जाएगा।