करीब पौने तीन साल पहले जेडीए ने ऋषभदेव नगर के पार्क को अतिक्रमण मुक्त कर वहां जेडीए की संपत्ति का बोर्ड लगाया था, अब फिर से नया विवाद खड़ा हो गया है। अब यहां पुलिस की उपस्थिति में अतिक्रमी फिर से काबिज होने की फिराक में हैं।
ऋषभदेव नगर में रहने वाले बच्चे रविवार को इस पार्क में वॉलीबाॅल खेलने लगे तो अतिक्रमी ने बच्चों को धमकाते हुए बाहर निकाल दिया। सोमवार को इस जमीन पर नजर रखने वाले अतिक्रमी पुलिस के साथ मौके पर पहुंचे और वॉलीबाॅल खेलने के लिए लगाए गए लोहे के पोल हटाने पर आमादा हो गए।
विवाद बढ़ने की संभावना के चलते ऋषभदेव नगर विकास समिति सदस्य चौपासनी हाउसिंग बोर्ड थाने पहुंचे और अतिक्रमी व धमकाने वाले पुलिसकर्मी के खिलाफ कार्रवाई की मांग की। इसके बाद थानाधिकारी ने पूरे मामले की जांच सिपाही निंबाराम को दी।
समिति सचिव संदीप सिंह व अध्यक्ष जेठमल ने आरोप लगाया कि पार्क में गंदगी नहीं हो, इसके लिए साफ-सफाई की, रविवार को बच्चे खेलने पहुंचे तो कुछ लोग आए और बच्चों को धमकाते हुए पार्क से बाहर जाने को कहा। बच्चों ने जब घटना बताई तो सोमवार को समिति के लोग पार्क में पहुंचे। सोमवार को भी इन लोगों ने पुलिस की मौजूदगी में लोगों को धमकाने की कोशिश की। इन लोगों ने पुलिस को दी शिकायत में आरोप लगाया कि इनके हाथ में हथियार भी थे।
क्या है मामला
ऋषभदेव के खसरा नंबर 79 व 88 के ले-आउट में पार्क दर्शाया होने के बावजूद कुछ साल पहले एक खातेदार ने पार्क की जमीन पर 10 भूखंड काट दिए थे। 24 हजार स्क्वायर फीट पार्क की जमीन पर 361 से 370 तक भूखंड दर्शाए हुए हैं, लेकिन ले-आउट देखने के बाद पूरा मामला जमीन हथियाने का उजागर होता है।
नवंबर 2017 में डीबी स्टार ने भू-माफिया के इस गोरखधंधे को ‘ऋषभदेव नगर में पार्क पर ही खातेदार ने काट दिए 10 प्लाॅट’ शीर्षक से खबर प्रकाशित कर उजागर कर जेडीए पर पार्क को खाली करवाने का दबाव बनाया था। इसके एक माह बाद 14 दिसंबर 2017 को जेडीए ने पार्क की जमीन पर सात घंटे तक अभियान चलाकर यहां बनाए कच्चे-पक्के निर्माण को ध्वस्त कर भू-माफिया की ओर से की गई तारबंदी को भी हटाया था। इसके बाद जेडीए ने अगस्त 2018 को पार्क की जमीन पर जेडीए संपत्ति का बोर्ड भी लगाा दिया था।
- कमेटी ने माना था- उक्त जमीन पार्क की आरक्षित जमीन
राजस्थान हाईकोर्ट के आदेश पर जेडीए के तत्कालीन आयुक्त दुर्गेश कुमार बिस्सा, सचिव अरुण कुमार पुरोहित, निदेशक (विधि) जगदीश शर्मा, निदेशक (आयोजना) पीआर बेनीवाल और उपायुक्त (दक्षिण) राकेश कुमार शर्मा ने गार्ड पत्रावली में उपलब्ध रेकर्ड के अध्ययन के बाद प्रार्थी सुभाष पालीवाल पुत्र बाबूलाल के भूखंड संख्या 363,364 व लीला पत्नी सुभाष पालीवाल के भूखंड संख्या 169 व 370 का भू-राजस्व अधिनियम 1956 की धारा 90(क) के तहत 3 जून 2013 का आवेदन यह कहते हुए खारिज कर दिया था कि पार्क की आरक्षित जमीन का नियमन या आवंटन नहीं किया जा सकता है। चूंकि मौका स्थिति के अनुसार पार्क के दोनों ओर ही सड़क हो सकती है, जो इस प्रकरण में है। इसलिए यह पार्क का होना साबित है। ऐसे में इस आवेदन को निरस्त करने का फैसला लिया गया है।