पटना हाईकोर्ट ने झंझारपुर के एडीजे अविनाश कुमार के साथ हुई मारपीट की घटना के मामले में डीजीपी एसके सिंघल से जानना चाहा कि आखिर पुलिस लोडेड पिस्टल के साथ जज के चैम्बर में कैसे गई, जबकि कोर्ट परिसर में हथियार ले जाना प्रतिबंधित है। कोर्ट ने मधुबनी के एसपी के बारे में भी जानकारी देने का निर्देश दिया।
वहीं, महाधिवक्ता ललित किशोर ने कोर्ट को बताया कि बिहार पुलिस इस मामले में दर्ज दोनों प्राथमिकी का अनुसंधान कर रही है। उनका कहना था कि अगर कोर्ट चाहे तो पूरे मामले की जांच सीबीआई या किसी अन्य एजेंसी से करवाने का आदेश दे सकती है। सोमवार को न्यायमूर्ति राजन गुप्ता तथा न्यायमूर्ति मोहित कुमार शाह की खंडपीठ ने सुनवाई की। सुनवाई के दौरान डीजीपी कोर्ट में उपस्थित थे। उन्होंने सील बंद लिफाफे में कोर्ट में एक रिपोर्ट पेश की। कोर्ट ने इसे रिकॉर्ड पर रखते हुए इस मामले में कोर्ट को सहयोग करने के लिए एमाइकस क्यूरी (कोर्ट मित्र) वरीय अधिवक्ता मृगांक मौली को नियुक्त किया गया है। साथ ही अगली सुनवाई की तारीख पहली दिसंबर तय की। अगली तारीख पर डीजीपी को उपस्थित रहने का कोर्ट ने आदेश दिया है। आरोप है कि गत 18 नवंबर को दिन के करीब 2 बजे घोघरडीहा के एसएचओ गोपाल कृष्ण और सब इंस्पेक्टर अभिमन्यु कुमार शर्मा ने अतिरिक्त जिला एवं सत्र न्यायाधीश अविनाश कुमार के चैम्बर में घुसकर गाली-गलौच तथा मारपीट की थी।
पुलिस अधिकारी ने अपनी सर्विस रिवॉल्वर निकालकर उन पर तान दी। इस घटना को लेकर मधुबनी के जिला जज ने हाईकोर्ट को एक पत्र भेज पूरी जानकारी दी। कोर्ट ने इस पत्र पर संज्ञान लेते हुए राज्य के मुख्य सचिव, डीजीपी, गृह विभाग के प्रधान सचिव और मधुबनी के एसपी को नोटिस जारी किया था। साथ ही सुनवाई के दौरान डीजीपी को कोर्ट में उपस्थित रहने का आदेश दिया था।