जापान के उप विदेश मंत्री ताकेओ मोरी ने वाशिंगटन में अपने दक्षिण कोरियाई और अमेरिकी समकक्षों के सामने एक द्वीप के विवाद को लेकर एक पहले से तय न्यूज कांफ्रेस में आने से मना कर दिया। दक्षिण कोरिया के उप विदेश मंत्री चोई जोंग कुन और जापानी उप विदेश मंत्री ताकेओ मोरी की अनुपस्थिति में अमेरिकी उप विदेश मंत्री वेंडी शेरमेन को सवालों के जवाब देने पड़े। वेंडी ने कहा कि जापान और दक्षिण कोरिया के बीच कुछ द्विपक्षीय मतभेद हैं जिन्हें सुलझाया जा रहा है।
किस द्वीप को लेकर है मतभेद?
एक द्वीप है जिसे जापान ताकेशिमा कहता है और दक्षिण कोरिया डोकडो। मौजूदा वक्त में इस द्वीप पर दक्षिण कोरिया का नियंत्रण है। इस द्वीप को लियानकोर्ट रॉक्स के नाम से भी जाना जाता है। रिपोर्ट्स बताती हैं कि इस द्वीप को लेकर 300 से अधिक सालों से कोरिया और जापान के बीच विवाद जारी है।
दक्षिण कोरिया का कहना है कि 1696 में जापानी और कोरियाई मछुआरों के बीच हुए विवाद के बाद जापान ने डोकोडो द्वीप को कोरियाई क्षेत्र के रूप में मान्यता दी थी लेकिन 1905 में जापान ने कब्जा कर लिया था जो कि 1945 तक रहा। कोरिया का कहना है कि दूसरे वर्ल्ड वॉर के बाद यह फिर से कोरिया के वापस नियंत्रण में आ गया। हालांकि जापान इन बातों से इनकार करता है और कहता है कि ताकेशिमा द्वीप हमेशा से जापान का हिस्सा रहा है।
दोनों देशों का क्या कहना है?
मामले को लेकर अमेरिका में जापानी दूतावास के प्रवक्ता मसाशी मिजोबुची ने कहा है कि दक्षिण कोरिया के पुलिस प्रमुख द्वारा विवादित ताकेशिमा द्वीप की यात्रा पर टोक्यो ने एक मजबूत विरोध दर्ज किया था। ऐसे में इन परिस्थितियों में हमने फैसला किया है कि संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस करना ठीक नहीं है। दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्रालय के एक प्रवक्ता ने मामले को लेकर कहा है कि दक्षिण कोरिया का रुख पहले की तरह है कि डोकडो ऐतिहासिक, भौगोलिक रूप से और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत दक्षिण कोरिया का भाग है।