राजस्थान के मशहूर रणथंबोर टाइटर रिजर्व से अचानक बाघ गायब होने लगे हैं। इन संरक्षित जीवों के अचानक लापता होने से वाइल्डलाइफ वाचर्स और वन विभाग के बीच हड़कंप मच गया है। अधिकारियों का कहना है कि जो 12 बाघ रिजर्व क्षेत्र से गायब हुए हैं उनमें से आधे बाघ एक ही क्षेत्र से गायब हुए हैं। वन विभाग के डेटा के मुताबिक, रणथंबोर में बाघों की संख्या पिछले कुछ सालों में बढ़ी है। साल 2006 में यहां 18 बाघ थे जबकि साल 2020 में इनकी संख्या 74 हो गई। इनमें 20 बाघ, 30 बाघिन और 24 सब-एडल्ट तथा बाघ के बच्चे शामिल हैं। इसके अलावा विभाग का दावा है कि कालादेवी और ढोलपुर रेंज में 4-4 बाघ और हैं।
राजस्थान सरकार ने कुंभलगढ़ सेंचुरी में एक नया टाइगर रिजर्व बनाने के लिए नेशनल टाइगर कन्जरवेशन अथॉरिटी से आग्रह किया है। यहां के वन क्षेत्र रणथंबोर से जुड़े हुए हैं। राज्य सरकार का मानना है कि नया टाइगर रिजर्व बनने के बाद रणथंबोर टाइगर रिजर्व पर दबाव थोड़ा कम होगा। इनके अलावा राज्य में दो अन्य टाइगर रिजर्व सारिस्का और मुकुंद्रा हिल्स भी हैं। इसमें करीब 100 बाघ रहते हैं।
रणथंबोर में बाघों की बढ़ती जनसंख्या को देखते हुए राज्य के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने अगस्त 2021 में विशेषज्ञों का एक पैनल बनाया था। इस पैनल को जिम्मेदारी दी गई है कि वो बाघों के रख-रखाव और संरक्षण को लेकर एक लॉन्ग-टर्म प्लान बनाएं।
पैनल अभी रणथंबोर की समस्याओं के बारे में जानकारियां जुटा ही रहा था कि इस बीच रिजर्व के अंदर से यह बेहद ही चौंकाने वाली खबर सामने आई कि वहां 12 बाघ अचानक लापता हो गए हैं। बताया जा रहा है कि यह सभी बाघ जनवरी 2020 से मार्च 2021 के बीच गायब हुए हैं। यह सभी बाघ करीब 125 स्क्वायर किलोमीटर क्षेत्र में फैले कुंदेरा और तलादा रेंज में रहते थे।
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि कुंदेरा और तलादा रेंज बाघों के पलायन के लिहाज से काफी संवेदनशील हैं। उन्होंने आशंका जताई कि हो सकता है कि यह बाघ इस क्षेत्र से निकलकर राजस्थान के करौली और बुंदी या फिर मध्य प्रदेश के कुनो पालपुर की तरफ पलायन चल गये हों।राजस्थान वन विभाग को इन गायब बाघों के बारे में कोई भी जानकारी नहीं मिल पा रही है। वो या तो करौली या फिर बुंदी में हो सकते हैं। कुनो डिविजनल फॉरेस्ट ऑफिसर पीके वर्मा ने कहा है कि उन्हें रणथंबोर से गायब बाघों का कोई सुराग नहीं मिल रहा है।
पीके वर्मा ने कहा, ‘हमें अभी तक बाघों के पैरों के निशान नहीं मिले हैं और ना हीं बाघों के मूवमेंट कि कोई जानकारी मिली है। रणथंबोर रिजर्व से जुड़े अधिकारियों का कहना है कि इस रिजर्व में बाघों की जनसंख्या बढ़ी है। पिछले एक साल में यह 24 बच्चों ने भी जन्म लिया। जब बाघों की जनसंख्या बढ़ती है तब उनके बीच इलाके के लिए लड़ाई भी होती है और ऐसी लड़ाईयों के बाद कमजोर बाघों को इलाका छोड़ कर जाना पड़ता है।