एनएसएसओ ने देश में शिक्षा को लेकर आंकड़े जारी किए हैं। इसमें बताया है कि भारत में शिक्षा तक लोगों की पहुंच कितनी है। इसके मुताबिक देश में 100 में से 30 लोग आज भी निरक्षर हैं यानी दस में से तीन लोग अपना नाम तक नहीं लिख सकते। डिजिटल इंडिया में 100 में से सिर्फ 17 लोग ही कंप्यूटर पर काम कर सकते हैं। 12% तो स्कूल ही नहीं जा पाते। आज भी 12वीं तक पढ़ाई करना लोगों के मुश्किल हो रहा है। नतीजतन देश आज अशिक्षा के गर्त में जा रहा है।
देश में कुल साक्षरता 77.7% है, यानी 10 में करीब 8 लोग साक्षर हैं और 2 लोग निरक्षर। पुरुषों की साक्षरता 84.7% है यानी 10 में से करीब 2 आज भी निरक्षर हैं। महिलाओं में साक्षरता 70.3% ही यही यानी 10 में से 3 महिलाएं कुछ भी लिख पढ़ नहीं सकतीं।
केरल देश का सबसे शिक्षित राज्य बना हुआ है। यहां की साक्षरता दर 96% से ज्यादा है। केरल के बाद दिल्ली दूसरे नंबर पर है, राजधानी दिल्ली की साक्षरता 88.7% है। उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश और असम भी तीसरे, चौथे और पांचवे नंबर पर हैं। देश में पांच सबसे शिक्षित राज्यों की साक्षरता 86% या उससे ज्यादा है।
आम तौर पर माना जाता है कि उत्तर भारत के मुकाबले दक्षिण भारत में साक्षरता दर ज्यादा है। सरकारी आंकड़े इसे झूठला रहे हैं। आंध्र प्रदेश सबसे कम शिक्षित राज्यों में शामिल है। इसके बाद राजस्थान, बिहार, तेलंगाना और उत्तरप्रदेश इस लिस्ट में हैं। देश के सबसे कम पढ़े लिखे पांच राज्यों की साक्षरता 73% से ऊपर नहीं है। उत्तरप्रदेश और बिहार जनसंख्या के हिसाब से देश में पहले और तीसरे नंबर पर हैं इसलिए देश को निरक्षर बनाने में सबसे बड़ी भूमिका इन राज्यों की है।
पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने डिजिटल क्रांति के लिए कई कदम उठाए हैं। सरकारी कामकाज, बैंकों में लेन-देन और भी सबकुछ डिजिटल हो चला है। लेकिन देश में सिर्फ 16% लोग ही कंप्यूटर पर काम कर पा रहे हैं। महिलाएं तो बहुत ही पीछे है। देश में हर 10 में से सिर्फ 1 महिला ही कंप्यूटर ऑपरेट कर सकती है।
दि स्कूलों में एनरोलमेंट की बात करें तो 85% बच्चियां और 87% बच्चे प्राइमरी स्कूल में एनरोल हैं। लेकिन, हाईस्कूल तक पहुंचते-पहुंचते यह संख्या घट जाती है। 57.3% बच्चियां ही हाईस्कूल तक पहुंच पा रही हैं। हायर सेकंडरी तक 44% बच्चे ही पहुंच पा रहे हैं। कॉलेज तक जेंडर गैप बढ़ जाता है। 21% लड़के तो 18% लड़कियां ही कॉलेज ही जा पाती हैं।