सरकारी वायु गुणवत्ता पूर्वानुमान एजेंसी ‘सफर’ के अनुसार शुक्रवार को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने का योगदान 36 प्रतिशत रहा, जो इस मौसम में अब तक का सबसे अधिक उत्सर्जन है।
‘सफर’ के संस्थापक-परियोजना निदेशक गुफरान बेग ने कहा कि आतिशबाजी से हुए उत्सर्जन के साथ दिल्ली की वायु गुणवत्ता का सूचकांक’ गंभीर’ श्रेणी के ऊपरी छोर तक पहुंचा…पराली जलाने से होने वाले उत्सर्जन का हिस्सा शुक्रवार को 36 प्रतिशत पर पहुंच गया है।
उन्होंने कहा कि स्थानीय हवाएं तेज हो गई हैं और अब (प्रदूषकों के) तेजी से फैलाव की आशंका है। आतिशबाजी से अधिक उत्सर्जन के बिना ही शुक्रवार रात तक एक्यूआई ‘बहुत खराब’ श्रेणी में पहुंच जाएगा, हालांकि पराली का योगदान लगभग (शनिवार को) समान रहने का अनुमान है।
गुरुवार को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में 25 प्रतिशत योगदान के लिए पराली से होने वाला प्रदूषण जिम्मेदार था। पिछले साल, दिल्ली के प्रदूषण में पराली जलाने की हिस्सेदारी पांच नवंबर को 42 प्रतिशत पर पहुंच गई थी। वर्ष 2019 में एक नवंबर को दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली के प्रदूषण का हिस्सा 44 प्रतिशत था। दिल्ली के पीएम 2.5 प्रदूषण में पराली जलाने से हुए उत्सर्जन की हिस्सेदारी पिछले साल दिवाली पर 32 प्रतिशत थी, जबकि 2019 में यह 19 प्रतिशत थी।
पराली जलाने से निकलने वाले धुएं में तेजी आने के बीच दिवाली की रात बड़े पैमाने पर पटाखा फोड़े जाने के कारण शुक्रवार को दिल्ली-एनसीआर क्षेत्र में धुंध की मोटी परत छा गई।
त्योहारों के मौसम से पहले दिल्ली सरकार ने एक जनवरी 2022 तक पटाखों पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की घोषणा की थी और पटाखों की बिक्री तथा इस्तेमाल के खिलाफ सघन अभियान चलाया था।
दिल्ली का वायु गुणवत्ता सूचकांक (एक्यूआई) गुरुवार रात ‘गंभीर’ श्रेणी में प्रवेश कर गया और शुक्रवार को दोपहर 12 बजे यह 462 पर पहुंच गया। फरीदाबाद (460), ग्रेटर नोएडा (423), गाजियाबाद (450), गुड़गांव (478) और नोएडा (466) में दोपहर 12 बजे वायु गुणवत्ता ‘गंभीर’ श्रेणी में दर्ज की गई।
उल्लेखनीय है कि शून्य से 50 के बीच एक्यूआई को ‘अच्छा’, 51 और 100 के बीच ‘संतोषजनक’, 101 और 200 को ‘मध्यम’, 201 और 300 को ‘खराब’, 301 और 400 के बीच ‘बहुत खराब’ और 401 और 500 को ‘गंभीर’ माना जाता है।