हाल ही में वर्ल्ड इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी ऑर्गेनाइजेशन (डब्ल्यूआईपीओ), कॉर्नेल यूनिवर्सिटी और इनसीड बिजनेस स्कूल ने ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स 2020 जारी किया है। इसके अनुसार भारत पहली बार टॉप-50 में जगह बनाने में कामयाब रहा है। भारत इस सूची में 48वें स्थान पर है। टॉप पर 66.08 स्कोर के साथ स्विट्जरलैंड है, जबकि स्वीडन (62.47) दूसरे, अमेरिका (60.56) तीसरे और ब्रिटेन (59.78) चौथे स्थान पर है।
इनोवेशन इंडेक्स तय होता है इनपुट और आउटपुट के आधार पर। इनपुट का मतलब है कि कोई देश रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए उससे जुड़े संसाधनों, मैनपॉवर और इंफ्रास्ट्रक्चर पर कितना खर्च कर रहा है। वहीं, आउटपुट यानी उससे उस देश को इनोवेशन के तौर पर क्या नया मिल रहा है और कितने प्रोजेक्ट पेटेंट हो रहे हैं।
पेटेंट कराने में पिछड़ रहा है भारत
- ऑर्गेनाइजेशन फॉर इकोनॉमिक को-ऑपरेशन और डेवलपमेंट के अनुसार भारत आरएंडडी यानी रिसर्च और डेवलपमेंट पर अपनी जीडीपी का सिर्फ 0.7% खर्च करता है। दूसरी ओर, जापान (3.2%), अमेरिका (2.8%) और चीन (2.1%) का शेयर ज्यादा होता है।
- साइंस और टेक्नोलॉजी डिपार्टमेंट के आंकड़ों के मुताबिक 2005 से 2018 के बीच भारत में 80% पेटेंट विदेशी कंपनियों या लोगों ने फाइल किए। देश में जितने पेटेंट फाइल हुए उसमें 45% हिस्सेदारी अमेरिका, जापान और जर्मनी के रिसर्चर्स की है।
पड़ोसियों से बेहतर है स्थिति भारत की
चीन को छोड़कर हम पड़ोसियों से बेहतर स्थिति में हैं। ग्लोबल इनोवेशन इंडेक्स में चीन 11वें नंबर पर है। चीन से हमारे 18.25 अंक कम हैं और इसकी वजह से रैंकिंग में 37 पायदान पीछे हैं। इस रैंकिंग में नेपाल (24.35) 95वें, पाकिस्तान (22.31) 107वें और बांग्लादेश (20.3) 116वें नंबर पर है।