दिल्ली में बढ़ते वायु प्रदूषण को रोकने के लिए गुरुवार से पेट्रोल-डीजल और केरोसीन से चलने वाले जेनरेटर पर प्रतिबंध लगा दिया गया है। हालांकि अस्पतालों, रेलवे, शॉपिंग मॉल की लिफ्ट जैसी आवश्यक सेवाओं को प्रतिबंध से छूट दी गई है। सड़क निर्माण आदि विशेष परिस्थितियों में अनुमति के बाद इसका इस्तेमाल किया जा सकता है।
पाबंदी लगने से बैंक्वेट हॉल, बड़ी सोसायटियों आदि में लोगों की परेशानी बढ़ सकती है। पिछले तीन वर्षों से जेनरेटर पर लगातार प्रतिबंध के कारण अब लोगों ने सोसायटियों, मार्केट आदि जगहों पर बैटरी इनवर्टर की व्यवस्था कर ली है। एक रिपोर्ट के मुताबिक दिल्ली में ही करीब छह लाख इनवर्टर हैं।
दिल्ली सरकार के अनुसार प्रदूषण को लेकर उन्होंने कई कदम उठाए हैं। पहले दिल्ली में जेनरेटर बड़ी संख्या में चलते थे, क्योंकि बिजली कटौती होती थी। अब दिल्ली में 24 घंटे बिजली आती है तो छह लाख जेनरेटर नहीं चलते, जिससे प्रदूषण कम होता है। विशेषज्ञों की मानें तो डीजल जेनरेटर से होने वाले प्रदूषण पर कोई शोध तो नहीं है। लेकिन डीजल या पेट्रोल से पीएम 2.5 और पीएम-10 जैसे प्रदूषक तत्व अधिक होते हैं, जिससे यह अधिक हानिकारक हैं।
प्रतिबंधों से प्रदूषण में 25 फीसदी की कमी
पिछले पांच साल में जनरेटर समेत अन्य प्रतिबंधों के कारण यहां प्रदूषण में 25 प्रतिशत की कमी आई है। दरअसल, अक्तूबर से लेकर फरवरी तक यहां ज्यादा प्रदूषण रहता है। अक्तूबर और नवंबर में पराली जलाए जाने से प्रदूषण होता है। इसके बाद ठंड के कारण प्रदूषण कण वायुमंडल में ऊपर नहीं जा पाते, इससे उसका स्तर बढ़ जाता है।