मुंबई क्रूज पार्टी ड्रग केस की जांच अब दो दिशाओं में बंट चुकी है। एक ओर जहां एनसीबी आर्यन खान मामले की जांच कर रही है, वहीं दूसरी ओर एनसीबी नेता नवाब मलिक के आरोपों के बाद एनसीबी के जोनल डायरेक्टर समीर वानखेड़े जांच के दायरे में आ गए हैं। आर्यन खान को गिरफ्तार करने वाले एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े पर महाराष्ट्र सरकार के मंत्री नवाब मलिक ने फर्जी कास्ट सर्टिफिकेट बनाकर आईआरएस की नौकरी हासिल करने का आरोप लगाया है। इतना ही नहीं, नवाब मलिक के आरोपों से यह विवाद भी उभोर आया है कि समीर वानखेड़े हिंदू हैं या मुसलमान। अब यहां समझना जरूरी होगा कि अगर मलिक के आरोप सही पाए जाते हैं और समीर दलित बन नौकरी पाने के दोषी पाए जाते हैं तो कानूनी तौर पर क्या-क्या हो सकता है।
अगर समीर वानखेड़े मुसलमान हैं तो इसमें क्या दिक्कत है? क्या मुसलमानों में दलित नहीं हैं?
दरअसल, संविधान के अनुसार भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है, जहां धार्मिक स्वतंत्रता को मौलिक अधिकार के रूप में गारंटी दी जाती है। नवाब मलिक ने स्पष्ट किया है कि वह समीर वानखेड़े के धर्म या फिर उनकी आस्था पर सवाल नहीं उठा रहे हैं, बल्कि आईआरएस की नौकरी हासिल करने की वैधता पर सवाल उठा रहे हैं। भारतीय के कानूनों के तहत भारत में कुछ वर्गों के लोगों के लिए शिक्षा और नौकरियों में आरक्षण का प्रावधान है। 1950 के संविधान (अनुसूचित जाति) प्रावधान के मुताबिक, अनुसूचित जाति के आवेदक सरकारी नौकरियों में 15 प्रतिशत आरक्षण के हकदार हैं।
इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कई बार संशोधन किया गया, मगर 1956 और 1990 में किए गए सबसे महत्वपूर्ण बदलाव किए गए। इसमें कहा गया है कि हिंदू या सिख या बौद्ध धर्म से अलग धर्म को मानने वाले किसी भी व्यक्ति को अनुसूचित जाति का सदस्य नहीं माना जा सकता है। लेकिन सुप्रीम कोर्ट का यह आदेश इस बात की भी पुष्टि करता है कि मुसलमानों में दलित हैं। हालांकि, इसमें कहा गया है कि अनुसूचित जनजाति या अन्य पिछड़ा वर्ग के रूप में व्यवहार करने के लिए कोई धार्मिक रोक नहीं है।
क्या मुसलमान आरक्षण के हकदार हैं?
भारत के संविधान धर्म आधारित आरक्षण का प्रावधान नहीं है। मगर कुछ राज्यों में और केंद्रीय सूची में भी मुस्लिमों के कुछ वर्ग सरकारी नौकरियों में आरक्षण के हकदार हैं। मगर लाभार्थी को यह आरक्षण पिछड़ा वर्ग या अन्य पिछड़ा वर्ग के सदस्य के रूप में मिलता है, न कि मुसलमान के तौर पर। उदाहरण के लिए, बिहार में अंसारी, मंसूरी, इदरीसी और धोबी जैसे कुछ मुस्लिम समूह पिछड़ा वर्ग के तहत आरक्षण के हकदार हैं, जो अन्य पिछड़ा वर्ग यानी ओबीसी में आते हैं।
यह बात स्पष्ट है कि दलित या फिर अनुसूचित जाति के लिए आवंटित कोटे में कोई भी मुस्लिम शख्स आरक्षण का दावा नहीं कर सकता है। नवाब मलिक ने समीर वानखेड़े पर ऐसा ही करने का आरोप लगाया है। दलित मुसलमानों और दलित ईसाइयों को आरक्षण का लाभ देने की मांग करते हुए सुप्रीम कोर्ट के समक्ष एक याचिका दायर की गई है। राष्ट्रीय अल्पसंख्यक आयोग ने 2008 में भी इसी तरह की सिफारिश की थी।
क्या होता है अगर कोई दलित व्यक्ति जाति से बाहर विवाह करता है, धर्म परिवर्तन करता है या रिकन्वर्ट करता है?
1950 में सुप्रीम कोर्ट के आदेश में कहा गया है कि जो व्यक्ति आरक्षण लाभ का दावा करना चाहता है, उसे एक प्रमाण पत्र प्रस्तुत करना होगा कि वह जन्म से अनुसूचित जाति के रूप में सूचीबद्ध किसी एक जाति से संबंधित है। इसमें यह भी कहा गया है कि अंतर्जातीय विवाह किसी व्यक्ति की अनुसूचित जाति की स्थिति को नहीं बदलता है। इस विवाह से पैदा लिए संतानों को पिता की जाति का माना जाएगा। अगर मां अनुसूचति जाति की है तो बच्चों को यह साबित करना होगा कि उन्हें एससी सदस्य के रूप में पाला गया है।
अनुसूचित जाति कोटा का लाभ अवैध रूप से लेने पर क्या होता है?
कानून क मुताबिक, दोषी व्यक्ति को नौकरी से निकाल दिया जाता है। सरकार व्यक्ति के खिलाफ आपराधिक मामला शुरू कर सकती है और वेतन के रूप में व्यक्ति द्वारा किए गए भुगतान के खिलाफ वसूली भी शुरू कर सकती है। इस तरह से देखा जाए तो अगर समीर भी दलित बनकर नौकरी लेने के दोषी पाए जाते हैं तो कानूनी तौर पर उन्हें भी उपरोक्त कार्रवाईयों से गुजरना पड़ सकता है।
समीर पर क्या-क्या हैं आरोप
दरअसल, महाराष्ट्र के मंत्री नवाब मलिक ने आरोप लगाया है कि एनसीबी अधिकारी समीर वानखेड़े मुसलमान हैं और उनकी शादी भी इस्लाम के तौर-तरीकों से हुई है। इसके लिए उन्होंने निकाहनामा और पहली पत्नी संग शादी की तस्वीर भी शेयर की है। मलिक ने समीर पर अपने दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा करके दलित की नौकरी छीनने का भी आरोप लगाया है।