8 अक्टूबर को कुंदुज में एक शिया मस्जिद पर आत्मघाती हमला हुआ। इस हमले में 70 से अधिक लोग मारे गए और 150 से अधिक लोग घायल हो गए। हमले की जिम्मेदारी इस्लामिक स्टेट ऑफ खोरासन ने ली। हमलावर की पहचान मुहम्मद अल उइगरी के रूप में हुआ। चीन द्वारा अफगानिस्तान से उइगरों को वापस डिपोर्ट करने को लेकर तालिबान सरकार को टारगेट किया गया था। चूंकि तालिबान खुद को कट्टरपंथी इस्लामिक आंदोलन से खुद को वैध शासन बनाने की तैयारी कर रहा है। इससे यह साफ है कि IS-K चीन को तालिबान से दूर ले जाने पर विचार कर रहा है।
उइगर चीनी शिनजियांग क्षेत्र के मूल निवासी हैं। उइगर समुदाय के लोग सालों से चीन से आजादी की लड़ाई लड़ रहे हैं। कई उइगर लड़ाके चीन पर हमला करने के लिए अफगानिस्तान की जमीन का इस्तेमाल करते रहे हैं। ऐसे में इस्लामिक स्टेट उइगर लोगों का इस्तेमाल कर एक साथ तालिबान और चीन को टारगेट कर रहा है।
चीन 2014 से अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट से जुड़े उइगर चरमपंथियों से परेशान है। चूंकि अब तक चीन, अफगानिस्तान, इराक और सीरिया जैसे देशों से दूर ही रहा है ऐसे में इस्लामिक स्टेट को बीजिंग से कोई खास खतरा नहीं महसूस हुआ है। लेकिन बदले हुए हालात में इस्लामिक स्टेट के लिए अफगानिस्तान में बड़ा खतरा नजर आ रहा है।
इस्लामिक स्टेट अपने प्रतिद्वंदी अल कायदा की तुलना में उइगरों की भर्ती करने में बहुत सफल नहीं रहे हैं। लेकिन तालिबान और चीन की दोस्ती को देखते हुए इस्लामिक स्टेट और उइगर चरमपंथियों को अधिक खतरा महसूस हो रहा है। ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि इस्लामिक स्टेट और उइगर दोनों मिलकर चीन को निशाना बना सकते हैं।
काबुल पर तालिबान के कब्जे से पहले तक तुर्किस्तान इस्लामिक पार्टी से जुड़े उइगर और तालिबान के बीच बेहतर रिश्ते रहे हैं लेकिन चीन द्वारा तालिबान पर दबाव बनाए जाने के बाद उइगर लड़ाके इस्लामिक स्टेट की ओर रुख कर रहे हैं। ऐसे में एक्सपर्ट्स का मानना है कि भविष्य में इस्लामिक स्टेट और उइगर एक पाले में रहते हुए चीन को नुकसान पहुंचाने की कोशिश कर सकते हैं।