उत्तरकाशी के हर्षिल से लमखागा पास होते हुए छितकुल हिमाचल की ट्रेकिंग के लिए गए 11 पर्यटकों के शव अबतक बरामद कर लिए गए हैं। खराब मौसम होने के बाद बावजूद भी एयरफोर्स और एसडीआरएफ का सर्च ऑपरेशन जारी है। ट्रैकर्स ने 14 अक्तूबर को उत्तरकाशी जिले स्थित हर्षिल से ट्रैकिंग शुरू की थी। उन्हें ट्रैकिंग करते हुए हिमाचल प्रदेश के छितकुल पहुंचना था।
लेकिन खराब मौसम की वजह से सभी ट्रैकर्स लमखागा पास के करीब वे भटककर लापता हो गए थे। आपको बता दें कि उत्तरकाशी के हर्षिल से लंबखागा पास होते हुए छितकुल हिमाचल की ट्रैकिंग के लिए गए आठ पर्यटकों समेत 11 लोगों के दल में से पांच ट्रैकरों के शव शुक्रवार को हर्षिल लाए गए। जबकि ट्रैक पर दो और शव भी दिखे हैं।
एक और गाइड को रेस्क्यू कर उपचार के लिए हर्षिल प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र में भर्ती किया गया है। इस तरह अब तक ट्रैक से 7 लोगों के शव मिले हैं, जबकि दो लोगों को जीवित बचा लिया गया। दो लोग अभी भी लापता हैं। एसडीआरएफ और वायु सेना का हेलीकाप्टर लगातार क्षेत्र में रेस्क्यू अभियान जारी रखे हुए हैं। जिला आपदा प्रबंधन अधिकारी देवेंद्र पटवाल व हर्षिल के इंचार्ज एसआई अजय शाह ने बताया कि शुक्रवार को ट्रैक पर मिले पांच शवों को हर्षिल लाया गया है।
उन्होंने बताया कि जिनमें विकास मकाल पुत्र स्वपन, सौरभ घोष पुत्र सुशील निवासी राघवपुर नेपालगंज, साउथ परगना 24, वेस्ट बंगाल, सुभियान दास पुत्र काजलदास निवासी नेपाल भट्टाचार्य जिला कालीघाट, वेस्ट बंगाल, तन्मया तिवारी पुत्र आरसी तिवारी निवासी किशन नगर कोलकाता व अनीता रावत पुत्री ज्योति सिंह निवासी हरिनगर वेस्ट दिल्ली का शव बरामद किया गया है। जबकि देवेंद्र चौहान पुत्र हरिराम ग्राम गंगाड पुरोला को रेस्क्यू कर जीवित हर्षिल लाया गया।
देवेंद्र बतौर गाइड दल में शामिल था, जो कि घायल है। उसे उपचार के लिए हर्षिल अस्पताल में भर्ती किया गया है। जहां उनका उपचार चल रहा है। बाकी दो शव और भी ट्रैक पर मिले हैं, जिनको निकालने का कार्य जारी है। दो लोग अभी भी लापता हैं, जिनकी तलाश में छितकुल की पहाड़ियों पर लगातार हेली से सर्च ऑपरेशन चलाया जा रहा है।
ट्रेक से बरामद सभी शवों को जिला अस्पताल उत्तरकाशी में पोस्टमार्टम के लिए लाया जाएगा। जबकि जो लापता हैं उनकी तलाश लगातार की जार ही है। बता दें कि छितकुल पर कुल 17 लोगों का ट्रैकिंग दल 11 अक्तूबर को हर्षिल से निकला था, लेकिन 17 अक्तूबर को मौसम खराब होने पर क्षेत्र में बर्फबारी हुई और यह दल तितर-बितर हो गया। छह पोर्टर और एक गाइड 18 अक्तूबर को आईटीबीपी कैंप छितकुल पहुंचा था। बाकी लापता हो गए थे।
चार दिन खजूर खाकर रहा जिंदा
छितकुल ट्रेक से जीवित बचाए गए पश्चिम बंगाल के ट्रेकर मिथुन ने बताया कि, मौसम खराब होने के दौरान उनका पैर फ्रैक्चर हो गया। मिथुन ने कहा कि, चार दिन वह टेंट में अपने साथी के साथ फंसे रहे। उसके बाद साथी का भी पता नहीं चला। खाने का सामान गुम हो चुकी था। चार दिन खजूर और चॉकलेट खाकर जिंदा रहा।