उपवास को अक्सर आस्था और धर्म से जोड़कर देखा जाता है। मगर एक हालिया अध्ययन की मानें तो उपवास जिंदगी को लंबी बनाने में मददगार हैं, साथ ही मोटापे से भी बचाव होगा। चूहों पर हुए एक हालिया अध्ययन में पता चला है कि आहार में कैलोरी खपत कम करके उन सभी का सेवन एक वक्त के भोजन में करना लंबा जीवन जीने और छरहरी काया पाने का सबसे अच्छा तरीका हो सकता है। विस्कॉन्सिन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं का कहना है कि कम कैलोरी वाले भोजन का सेवन करना स्वास्थ्य के लिए अच्छा होता है। उपवास के साथ-साथ डाइटिंग भी बेहतर रहती है।
आठ महीने अधिक रही आयुः
शोधकर्ताओं ने चूहों के चार समूहों को अलग-अलग आहार देते हुए अध्ययन किया। दो ऐसे समूह, जिन्होंने पूरे दिन उपवास किया और रात के खाने में भरपूर भोजन किया। दो ऐसे जिन्होंने नियमित रूप से छोटे-छोटे भोजन का सेवन किया। अध्ययन में पाया गया कि उपवास करने वाले समूह के वे चूहे, जिनकी कैलोरी में 30 प्रतिशत की कटौती हुई थी, वे कम कैलोरी का नियमति भोजन करने वालों की तुलना में आठ महीने अधिक जीवित रहे।
इंसुलिन और मेटाबॉलिज्म में सुधारः
उपवास और डाइटिंग के मिश्रण ने इंसुलिन की संवेदनशीलता में सुधार किया और ऊर्जा के स्रोत के रूप में बॉडीफैट का उपयोग कर मेटाबॉलिज्म को दुरुस्त किया। प्रमुख शोधकर्ता प्रोफेसर डडले लैमिंग का कहना है कि अगर यह स्वास्थ्य को बेहतर रखने में मददगार है तो कम कैलोरी वाला आहार नियमित रूप से लेने की बजाय उपवास पर फोकस करना चाहिए। हालांकि अध्ययन में शामिल एक विशेषज्ञ ने यह भी कहा है कि चूहों और मनुष्यों के बीच बहुत बड़ा जैविक अंतर होता है, इस कारण अध्ययन के निष्कर्ष मनुष्यों पर लागू नहीं हो सकते हैं।
उपवास करने वाले चूहों का लीवर स्वस्थः
शोधकर्ताओं ने चूहों के लिए चार अलग-अलग आहार तैयार किए। एक समूह ने जब और जितना चाहा उतना खाया। दूसरे समूह ने भोजन की भरपूर मात्रा का सेवन किया, लेकिन एक समय। इससे पहले उसने पूरे दिन उपवास रखा। हालांकि पहले दो समूहों को आहार में लगभग 30 प्रतिशत कम कैलोरी दी गई। वहीं दूसरे समूह ने अपनी सभी कैलोरी का सेवन दिनभर के उपवास के बाद एक ही वक्त के भोजन में किया। पहले ग्रुप ने भी एक बराबर खाना ही खाया, लेकिन दिनभर में कई बार खाया।
अध्ययन में पाया गया कि जिन चूहों ने दिनभर उपवास के बाद एक वक्त में रोजाना की कैलोरी का सेवन किया वह अधिक सेहतमंद भी थे और उनकी आयु भी अधिक रही। उपवास करने वाले चूहों का लीवर और मेटाबॉलिज्म भी अधिक स्वस्थ था। हालांकि जिन चूहों ने बिना कभी उपवास किए बिना कम कैलोरी का सेवन किया, उनमें ब्लड शुगर नियंत्रित देखा गया, मगर उनकी मृत्यु आठ माह पहले हो गई। यह अध्ययन नेचर मेटाबॉलिज्म में प्रकाशित हुआ है।