कोरोना वायरस वैश्विक महामारी के कारण लागू किए गए लॉकडाउन को हटाए जाने के बाद से हमने लोगों के मिलना-जुलना पुन: शुरू कर दिया है, ऐसे में कई लोगों को जुकाम होना शुरू हो गया है। एक टिकटॉक वीडियो वायरल हुआ है, जिसमें जुकाम के उपचार के तौर पर एक व्यक्ति नाक में लहसुन डालते दिख रहा है। जुकाम के जो विभिन्न उपचार बताए जाते हैं, उनमें यह तरीका भी शामिल है। हमने दो विशेषज्ञों ने जुकाम संबंधी प्रचलित मान्यताओं के संबंध में जांच करने को कहा।
1. क्या आपको ठंड के कारण जुकाम हो सकता है?
सर्दियों में जुकाम अक्सर हो जाता है। ऊपरी श्वसन मार्ग (नाक, गले और श्वासनली) में अन्य संक्रमणों की तरह जुकाम भी आम तौर पर एक वायरस के कारण होता है। इस बात में थोड़ी सच्चाई हो सकती है कि ठंड लगने से जुकाम हो सकता है, क्योंकि जब तापमान में बदलाव होता है, तो उससे हमारे गले और श्वासनली की परत में बदलाव आता है और इससे वायरस के लिए व्यक्ति की कोशिकाओं को संक्रमित करना आसान हो जाता है।
सर्दियों में अधिक जुकाम होने का मुख्य कारण यह है कि हम इस मौसम में घरों के भीतर, अन्य लोगों के निकट संपर्क में अधिक समय व्यतीत करते हैं, जो संक्रमण के फैलने के लिए अनुकूल स्थिति होती है।
2. क्या नाक में लहसुन डालना मददगार है?
टिकटॉक पर जुकाम के उपचार के लिए प्रचलित तरीकों में नाक में लहसुन की कलियां डालना शामिल था, क्योंकि ऐसा दावा किया जाता है कि लहसुन सर्दी-खांसी की दवा है। नाक में कुछ भी डालना आपकी नाक में बलगम के प्रवाह को रोकता है, इसलिए जब उसे हटाया जाता है, तो नाक से कफ बहने लगता है।
बलगम न केवल वायरस सहित रोगजनकों को दूर करने में मदद करता है, बल्कि इसमें एंटीबॉडी भी होते है और यह वायरस की संक्रामक क्षमता को कम कर सकता है, इसलिए नाक में लहसुन डालना अच्छा विचार नहीं है। लहसुन में कई प्रकार के यौगिक होते हैं जो नाक में जलन पैदा कर सकते हैं और याद रखें कि अपनी नाक में कुछ भी डालना कोई अच्छा तरीका नहीं है। यह परत को नुकसान पहुंचा सकता है और रक्तस्राव का कारण बन सकता है या यह फंस भी सकता है। तो यह वास्तव में मददगार नहीं है, बल्कि हानिकारक हो सकता है।
3. क्या जड़ी-बूटियों संबंधी उपचार जुकाम से बचा सकते हैं?
ऐसा दावा किया जाता है कि विभिन्न जड़ी-बूटियों जुकाम होने से रोकती हैं या जुकाम होने के बाद शीघ्र स्वस्थ होने में मददगार हैं। इसके लिए लोग उत्तर अमेरिका में पाए जाने वाले पौधों की प्रजाति इचिनेशिया का अक्सर जिक्र करते हैं। कुछ परीक्षणों से पता चला है कि यह जुकाम की रोकथाम में थोड़ा मददगार है, लेकिन सबूतों से यह साबित नहीं हुआ है, इससे बीमारी के स्तर में कोई खास बदलाव आया हो। हल्दी को भी जुकाम की रोकथाम में मददगार माना जाता है, लेकिन इस संबंध में भी मजबूत साक्ष्य नहीं हैं।
4. क्या विटामिन सी से मदद मिलती है?
नोबेल पुरस्कार विजेता वैज्ञानिक लीनस पॉलिंग ने कहा था कि अधिक मात्रा में विटामिन सी कई वायरल संक्रमणों के लिए एक प्रभावी उपचार हो सकता है। कोक्रेन समीक्षा ने पाया कि विटामिन सी जुकाम की रोकथाम नहीं करता, लेकिन कुछ लोगों में संक्रमण की अवधि को कम कर सकता है। क्रोकेन समीक्षा एक ऐसी बहुत मजबूत प्रणाली है जिसमें अनुसंधानकर्ता साक्ष्य का आकलन करते हैं। प्रतिदिन लगभग 200 मिलीग्राम विटामिन सी की खुराक को कम जोखिम वाला माना जाता है, इसलिए कुछ विशेषज्ञों का सुझाव है कि यह जुकाम के प्रभाव को कम करने के लिए एक उचित रणनीति है।
5. क्या विटामिन डी जुकाम से बचाता है?
सूरज की किरणों से मिलने वाले विटामिन डी को पहले मजबूत हड्डियों के लिए अहम माना जाता था, लेकिन अब हृदय संबंधी बीमारियों और मधुमेह से लेकर वायरस के संक्रमणों के बचाने में भी इसे मददगार माना जाता है। प्रयोगशाला में किए गए प्रयोगों से पता चलता है कि विटामिन डी रोग प्रतिरोधी क्षमता को मजबूत करने में महत्वपूर्ण है और यह वायरस से लड़ने में महत्वपूर्ण है, लेकिन समस्या यह हो सकती है कि कुछ लोगों में विटामिन डी का स्तर अपर्याप्त होता है। धूप से विटामिन डी मिलता है, लेकिन सर्दियों में धूप कम निकलती है। इसलिए सर्दियों में ब्रिटेन सरकार का विटामिन डी की खुराक लेने की सलाह देना समझदारी लगता है।
6. चिकन सूप की क्या भूमिका है?
जुकाम के उपचार में सदियों से चिकन सूप का इस्तेमाल किया जाता रहा है और शहद की तरह यह भी जुकाम के लक्षणों को कम करने में मददगार हो सकता है, लेकिन संक्रमण को दूर करने में इसका कोई खास प्रभावी होने की संभावना नहीं है। सूप में मौजूद पानी से शरीर में पानी की कमी पूरी करने में मदद मिलती है और जब हमें जुकाम होता है तो पानी की कमी अक्सर एक समस्या होती है। अधिकतर गर्म पेय पदार्थों की तरह यह दर्दनाक साइनस को दूर करने में मदद कर सकता है।
अफसोस की बात है कि आम तौर पर होने वाले जुकाम का कोई रामबाण उपचार नहीं है। पर्याप्त मात्रा में विटामिन सी और डी लेने जैसे कुछ तरीके मददगार हो सकते हैं और ये आमतौर पर हानिकारक नहीं होते, लेकिन नाक में लहसुन की कलियां डालने जैसे तरीकों को निश्चय ही नहीं अपनाना चाहिए और इन्हें अपनाना जोखिम भरा भी हो सकता है। सबसे लाभदायक है कि खूब आराम कीजिए और खूब पानी पीजिए, ताकि शरीर में पानी की कमी नहीं हो।