उत्तराखंड में दो दिन की भारी बारिश ने जमकर तबाही मचाई है। मैदानी इलाकों से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में बारिश से काफी नुकसान पहुंचा है। हालांकि, राहत की बात है अब मौसम खुल गया है। जिदंगी दोबारा पटरी पर आने लगी है, लेकिन भारी बारिश के बाद आपदा से हुए नुकसान की भरपाई को काफी समय लगेगा। भारी बारिश की वजह से प्रदेशभर में पिछले तीन दिनों में 46 लोगों की मौत हो चुकी है। चिंता की बात है कि सबसे ज्यादा मौतें नैनीताल जिले में हुईं हैं।
बेमौसम बरसात की वजह से सड़कें सहित नेशनल हाईवे टूट गईं तो पुल टूटने से जगह-जगह यात्री फंस गए हैं। मौसम विभाग की मानें तो उत्तराखंड में दो दिन बारिश के बाद बुधवार को राहत की उम्मीद है। नैनीताल, चंपावत, पौड़ी और पिथौरागढ़ जिलों में हल्की बारिश हो सकती है। बाकी जिलों में राहत रहेगी। देहरादून स्थित मौसम विज्ञान केंद्र से जारी पूर्वानुमान के अनुसार, उत्तराखंड चार जिलों को छोड़कर बाकी जिलों में शुष्क मौसम रहने की संभावना है।
राहत की बात यह है कि बुधवार को लेकर कोई अलर्ट जारी नहीं हुआ है। बारिश के बाद पर्यटन नगरी मसूरी में सुबह को धूप खिली रही तो नैनीताल में भी मौसम साफ रहा। चारधाम रूट में भी कुछ जगह हल्की बौछारें छोड़, अधिकांश जगह धूप ही खिली रही। राजाधानी देहरादून में भी सुबह से ही चटक धूप खिली हुई है। मौसम साफ होने की पर राहत व बचाव कार्यों में जुटे कर्मियों ने रेसक्यू कार्य में तेजी दिखाने लगे हैं।
राहत : मौसम के खुलते ही चारधाम को भेजे गए यात्री
दो दिन से जारी बारिश के थम जाने से चारधाम यात्रियों और जिला प्रशासन ने राहत की सांस ली है। उत्तरकाशी और रुद्रप्रयाग के जिला प्रशासन ने यात्रियों को धामों के लिए भेजना शुरू कर दिया है। हालांकि अब भी धामों और रास्तों में बड़ी संख्या में यात्री रुके हुए हैं। उत्तरकाशी में धामों के यात्रा पड़ावों पर करीब दो हजार यात्री धामों के दर्शन का इंतजार कर रहे थे।
हालांकि गंगोत्री धाम को रवाना हुए यात्री सुक्की टॉप में हाईवे बंद रहने से फंसे रहे और देर शाम तक गंगोत्री नहीं पहुंच पाए। उधर, यमुनोत्री धाम में कई यमुना के दर्शन को पहुंचे। बारिश थमने के बाद धामों की यात्रा शुरू होने से कारोबारियों और यात्रियों ने राहत की सांस ली है। बुधवार सुबह मौसम खुलने पर जिला प्रशासन ने सोनप्रयाग और गौरीकुंड से तीर्थ यात्री केदारनाथ के लिए भेजे।
भारी बारिश से तबाही मचाने वाली बेमौसमी बरसात ने तोड़ा 104 साल का रिकॉर्ड
उत्तराखंड में लगातार हो रही बारिश ने हर जगह कहर बरपाया है। पुल टूटने से लेकर नेशनल हाईवे तक बाधित हुए हैं। भारी बरसात की वजह से अब तक 42 लोगों को अपनी जान गंवानी पड़ी है। चिंता की बात है कि मैदानी इलाकों से लेकर पर्वतीय क्षेत्रों में भी बारिश से काफी नुकसान हुआ है। नैनीताल जिले में सोमवार सुबह से मंगलवार सुबह तक कुल 251.74 मिलीमीटर औसत बारिश दर्ज हुई है। इस बेमौसमी बारिश ने अक्तूबर माह में सर्वाधिक वर्षा का 104 साल पुराना रिकॉर्ड तोड़ दिया है। मौसम विभाग के आंकड़ों के मुताबिक इससे पहले अक्तूबर 1917 में 188.7 मिलीमीटर बारिश पूरे माह में दर्ज की गई थी।
गृहमंत्री अमित शाह हालात की समीक्षा करेंगे
गृहमंत्री अमित शाह आज (बुधवार) शाम को बाढ़-बारिश से बिगड़े हालात की समीक्षा करने को बुधवार को उत्तराखंड आ सकते हैं। जबकि, गुरुवार को शाह बाढ़ प्रभावित इलाकों हवाई सर्वे कर सकते हैं। सूत्रों की मानें तो, इसके लिए उत्तराखंड सरकार ने तैयारियों शुरू कर दी है। हालांकि, सरकार की ओर से राहत-बचाव का कार्य युद्धस्तर से किया जा रहा है।
मृतक आश्रितों को चार लाख मुआवजा
सीएम पुष्कर सिंह धामी ने आपदा की वजह से जान गंवाने वालों के आश्रितों को चार-चार लाख रुपये मुआवजा देने की घोषणा भी की। सीएम ने डीएम को निर्देश दिए कि अतिवृष्टि पीड़ितों के साथ ही उत्तराखंड आए यात्रियों को हर संभव सहयोग और सहायता दी जाए। आपदा की संवेदनशीलता को देखते हुए जिला प्रशासन, पुलिस प्रशासन, जिला आपदा प्रबंधन, एसडीआरएफ एवं आपदा से सम्बंधित सभी विभागों को अलर्ट पर रहने के निर्देश दिए गए हैं।
सरकार की सलाह:अनावश्यक यात्रा से बचे
भारी बारिश की वजह से उत्तराखंड में उपजे हालात पर सरकार ने लोगों को सलाह दी है कि वजह अनावश्यक यात्रा करने से बचें। चिंता जताई है कि लोग अब भी अनावश्यक यात्रा पर निकलने पर फिलहाल परहेज करे। खासकर कुमाऊं मंडल में अतिवृष्टि की अधिकता के कारण वहां अतिरिक्त एहतियात बरता जाए। रास्ते खुले होने की सूचना मिलने पर ही यात्रा पर निकलने की योजना बनाएं।
वायुसेना के तीन हेलिकॉप्टर कर रहे हैं राहत और बचाव कार्य
भारतीय वायुसेना के तीन हेलिकॉप्टर्स को राहत और बचाव कार्यों में लगाया गया है। इनमें से दो हेलिकॉप्टर को नैनीताल में तैनात किया गया है। यह जिला बादल फटने और भूस्खलन की घटनाओं से बुरी तरह प्रभावित हुआ है। यहां सड़कों से मलबा हटाने का काम जारी है।