भारत और चीन के बीच बॉर्डर पर तनाव बना हुआ है। 13वीं दौर की वार्ता के बाद भी दोनों पक्ष किसी नतीजे पर नहीं पहुंच सके हैं। पेट्रोलिंग पॉइंट 15 और हॉट स्प्रिंग जैसे इलाकों में दोनों देशों ने अपने सैनिक बढ़ा दिए हैं। हालांकि दोनों पक्ष अगले दौर की वार्ता को लेकर सहमत हो गए हैं लेकिन दोनों देशों के अलग-अलग बयान बताते हैं कि गतिरोध जारी है।
भारतीय पक्ष का कहना है कि चीन अब उन क्षेत्रों तक भारत को पहुंचने से रोक रहा है जहां भारत नियमित रूप से गश्त लगाता रहा है। डेमचोक इलाके में घुसपैठ के बाद से भारतीय सेना चारडिंग नाले के पार गश्त नहीं कर पा रही है। चीनी सैनिक बाराहोटी के मैदानों और तवांग ट्रैक्ट में घुसपैठ करने की कोशिश की है लेकिन भारतीय सैनिकों द्वारा रोके जाने के बाद वापस चले गए हैं। चीन लाइन ऑफ़ एक्चुअल कंट्रोल के पास सैनिकों की तैनाती को लगातार बढ़ा रहा है और लगातार स्थायी ढांचा बना रहा है। अपुष्ट रिपोर्ट्स बताती हैं कि अक्साई चिन में चीन ने रूसी विध्वंसक मिसाइल S-400 भी तैनात कर रखे हैं। भारतीय सेना का कहना है कि चीनी सैनिक यहां रहने के मकसद से आए हैं। हम सभी घटनाक्रम पर नजर रखे हुए हैं। अगर वे यहां रहने को आए हैं तो हम भी वहां रहने के लिए हैं।
श्याम शरण भारत के पूर्व विदेश सचिव रहे हैं। उन्होंने फर्स्टफोस्ट में लिखा है कि भारत, चीन के साथ एक नई स्थिति का सामना कर रहा है। भारत और अमेरिका के बीच बढ़ते संबंध को लेकर चीन भारत को लेकर अधिक आक्रामक है।
चीन की मौजूदा जीडीपी भारत की तुलना में पांच गुना है और चीन, अमेरिका के साथ अपने गैप को भी कम कर रहा है। ऐसे में भारत को यह समझने की जरूरत है कि क्वाड जैसे ग्रुप में शामिल होना चीन के खिलाफ कोई प्रभावी उपाय नहीं है। चीन समुद्र में भी भारत को लगातार बेअसर करने की कोशिश में लगा हुआ है। भारत को चारों ओर से घेरने की कोशिश कर रहा है।
यह सच है कि भारतीय सैनिकों ने चीनी सेना को लाइन ऑफ एक्चुअल कंट्रोल पर रोककर अपनी क्षमता का प्रदर्शन किया है। लेकिन भारत के पास गोला-बारूद की कमी है। इस सबके साथ ही बॉर्डर की प्रकृति इस तरह की है कि स्थायी तैनाती संभव नहीं है लेकिन निगरानी को और बेहतर किया जा सकता है। भारत को अपने सशस्त्र बलों का पुनर्गठन करना चाहिए ताकि उसके पास कई मोबाइल स्ट्राइक टीमें हों जो चीनी घुसपैठ की स्थिति में सीमा पार से सुरक्षित क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ सकें।