कैंसर उन जानलेवा बीमारियों में से एक है जो डॉक्टर्स के लिए भी पहली की तरह है। कई बार डॉक्टर्स भी नहीं समझ पाते कि किसी मरीज को क्यों कैंसर हो गया। लिहाजा इसके लिए सतर्कता और बचाव बेहद जरूरी हैं। कैंसर के साथ सबसे बड़ी समस्या ये है कि जब तक इसका पता चलता है काफी देर हो जाती है इसलिए जागरूकता काफी जरूरी है। अक्टूबर का महीना ब्रेस्ट कैंसर अवेयरनेस के लिए डेडिकेट किया जाता है। यहां जानते हैं ब्रेस्ट कैंसर से जुड़ी कुछ जरूरी बातें।
बरतें सतर्कता
हमारे शरीर में रोजाना लाखों कोशिकाएं बनती रहती हैं। ये कोशिकाएं जब अनियंत्रित होकर बढ़ती हैं शरीर के दूसरे हिस्सों में फैलकर नुकसान पहुंचाने लगती हैं। कई कैंसर लास्ट स्टेज पर पता चलते हैं लेकिन ब्रेस्ट कैंसर को अक्सर गांठ के रूप में महसूस किया जा सकता है। नारायणा सुपरस्पेशेलिटी अस्पताल, गुरुग्राम की सीनियर रेडिएशन ऑन्कोलॉजी कंसल्टेंट डॉक्टर इंदु बंसल बताती हैं, बहुत से ब्रेस्ट कैंसर के मामलों में शुरुआती गांठ या लक्षण नहीं नजर आते। मरीज के बगल में गांठ महसूस हो सकती है। इनमें दर्द हो भी सकता है और नहीं भी। इन दोनों ही कंडीशंस को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए।
लक्षण
डॉक्टर इंदु ने ब्रेस्ट में लंप या गांठ महसूस होने के अलावा कुछ और लक्षण बताए जैसे निप्पल से द्रव आना, निप्पल का अंदर की ओर धंस जाना वगैरह। ये लक्षण दिखें तो अलर्ट हो जाना चाहिए। कैंसर का इलाज जितनी जल्दी शुरू होता है, इसका सर्वाइवल रेट उतना ही बढ़ जाता है।
ब्रेस्ट कैंसर के कारण
-अक्सर कई बच्चियों को बहुत कम उम्र में माहवारी शुरू हो जाती है, ब्रेस्ट कैंसर का ये भी एक कारण हो सकता है।
-कई बार अनुवांशिक कारणों से भी ब्रेस्ट कैंसर का जोखिम होता है। जैसे अगर आपकी
-मां, सगी बहन को ब्रेस्ट कैंसर हुआ है तो आपको भी खतरा है।
-मीनोपॉज यानी रजोनिवृत्ति का सामान्य उम्र से देर से आना भी एक रिस्क फैक्टर हो सकता है।
-हॉरमोन रिप्लेसमेंट थेरेपी लेना।
-इसके अलावा धूम्रपान, स्तनपान न करवाना मोटापा वगैरह भी ब्रेस्ट कैंसर के रिस्क फैक्टर हैं।
कैसे करें बचाव
-अगर ब्रेस्ट कैंसर की फैमिली हिस्ट्री है तो नियमित रूप से जांच करवाते रहें। इसके लिए आपके परिवार के किसी सदस्य को जिस उम्र में कैंसर पता लगा हो उस उम्र से 5 साल पहले से जांच शुरू कर देनी चाहिए।
-20 साल उम्र के बाद हर एक महिला को महीने में एक बार ब्रेस्ट कैंसर का सेल्फ एग्जामिनेशन करना चाहिए। 20 से 40 साल की आयु में 2 से 3 साल के अंतर में अपने सभी रेग्युलर चेकअप करवाने चाहिए। 40 साल के बाद महिलाओं को अल्ट्रसाउंड वगैरह रेग्युलर करवाते रहना चाहिए। 45 वर्ष की उम्र के बाद साल में एक बार मेमोग्राम करवाना चाहिए।