इन दिनों किसान रबी की फसल के लिए परेशान है और यहां-वहां भटक रहा है। मगर अन्नदाता किसान की परेशानियां अभी यहीं समाप्त नहीं होने वाली हैं। उन्हें खाद के नाम पर नकली डीएपी देने के लिए मुनाफाखोरों ने बंद कमरों में अपना धंधा फैलाना शुरू कर दिया है। मुरैना के पोरसा में ऐसी ही एक फैक्टरी पकड़ी गई है जहां करीब 140 बोरियों में नकली डीएपी भरकर किसानों को ठिकाने लगाने की तैयारी थी।
मामला मुरैना के पोरसा में तहसीलदार विवेक सोनी ने पकड़ा है जिन्हें गुरुवार को सुबह ही सूचना मिली थी कि एक स्थान पर कुछ लोग बोरियों में खाद जैसी चीज को भरने का काम कर रहे हैं। सोनी ने लाइव हिंदुस्तान से बातचीत में बताया कि जब वे टीम के साथ पहुंचे तो एक व्यक्ति डीएपी की खाली बोरियों में खाद जैसी सामग्री को भर रहा था। सोनी ने बताया कि बोरियां भरने वाला व्यक्ति मजदूर था लेकिन मुख्य आरोपी उन्हें नहीं मिला है।
ग्रो प्लस को डीएपी की बोरियों में भरा जा रहा था
पोरसा में जहां तहसीलदार की टीम ने नकली खाद का कारोबार होते पकड़ा है, वह मकान राजा सिंह तोमर नाम के व्यक्ति ने किराये पर लिया था। राजा सिंह तोमर भी पोरसा का ही बताया जाता है। मजदूर ने बताया कि उसे बोरियां भरने का काम सौंपा गया था। बोरियां में भरा जाने वाला पदार्थ ग्रो प्लस बताया जाता है जो डीएपी जैसा लगता है। यह बाजार में डीएपी की तुलना में बहुत कम कीमत में मिल जाता है। ग्रो प्लस खाद का काम नहीं कर सकता जिससे अच्छी फसल नहीं ली जा सकती।
रंग-चूने के कारोबार के नाम पर लिया किराए पर मकान
बताया जाता है कि राजा सिंह तोमर ने किराये पर जब मकान लिया था तो उसने दो महीने रंग व चूने का स्टाक करने की बात कही थी। मगर रंग या चूने के स्टाक की जगह मकान में ग्रो प्लस का स्टाक कर डीएपी की खाली बोरियों में नकली खाद तैयार करने का कारोबार होने लगा।